वाराणसी जिला कोर्ट ने बुधवार को ज्ञानवापी के व्यास के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने की इजाज़त दी है. अब इसे लेकर एआईएमआईएम के चीफ असददुद्दीन ओवैसी ने न्यूज़ एजेंसी ANI को दिए अपने बयान में कहा कि यह प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का उल्लंघन है. ओवैसी ने कहा कि, "आज जज साहब के रिटायरमेंट का आखिरी दिन था. 17 जनवरी को रिसीवर बैठाया. इन्होंने पूरा केस ही डिसाइड कर दिया. जब तक प्रधानमंत्री नरेंद मोदी इस एक्ट पर अपनी चुप्पी तोड़ेंगें नहीं कि वो इसके साथ हैं, तब तक ये सब चलता रहेगा."
असददुद्दीन ओवैसी बोले, "1993 के बाद से आप खुद कह रहे हैं कि वहां कुछ नहीं हो रहा था. अपील के लिए 30 दिन का समय देना था. ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में पूजा की इजाजत देना गलत है." बाबरी विध्वंस से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा कि हां, 6 दिसंबर दोबारा हो सकता है, क्यों नहीं हो सकता."
न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी जिला कोर्ट के फैसले को चुनौती देने का फैसला किया है. हिंदू पक्ष के वकील ने बताया कि जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने तहखाने में पूजा पाठ करने का अधिकार व्यास जी के नाती शैलेंद्र को दे दिया है. उन्होंने बताया कि कोर्ट ने अपने आदेश में जिला अधिकारी को निर्देश दिया कि वादी शैलेन्द्र व्यास और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट की ओर से तय किए गए पुजारी से व्यास जी के तहखाने में स्थित मूर्तियों की पूजा और राज भोग कराए जाने की व्यवस्था 7 दिन के भीतर कराएं.
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