UPSC: एक मजदूर के बेटे ने गाड़ा झंडा, कभी गैस भरवाने के नहीं थे पैसे, अब बना IAS

Updated : Apr 17, 2024 21:35
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Editorji News Desk

UPSC Result: वो कहते हैं ना कि सपने संसाधनों से नहीं इरादों से पूरे होते हैं और इसकी बानगी देखने को मिली मंगलवार को जारी हुए UPSC के रिजल्ट में. जिसमें बुलंदशहर के रघुनाथपुर गांव में रहने वाले एक मजदूर के बेटे पवन कुमार (Pawan Kumar) ने UPSC की परीक्षा पास कर कमाल कर दिया. बेहद गरीब परिवार से आने वाले पवन कुमार ने ऑल इंडिया AIR 239 रैंक हासिल की. बेटे की कामयाबी पर माता पिता समेत पूरे परिवार का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है. कभी मजदूरी करने वाले मुकेश कुमार के घर में इतनी गरीबी थी कि चूल्हे में गैस भरवाने के भी पैसे नहीं हुआ करते थे. लेकिन अब उनके बेटे ने IAS बनकर नाम रोशन कर दिया. 

क्या कहते हैं पवन कुमार ?
पवन कुमार ने ANI से बातचीत में बताया, 'ये मेरा तीसरा प्रयास था. मेरी यात्रा में मेरे परिवार की बहुत बड़ी भूमिका थी, खासकर मेरे माता-पिता और मेरी बहनों की. परीक्षा कठिन है और पाठ्यक्रम बहुत बड़ा है, लेकिन इसे पास करना असंभव नहीं है. कोचिंग लेना जरूरी नहीं है. मेरे परिवार की हालत ऐसी थी कि मैं इतनी महंगी कोचिंग क्लास नहीं खरीद सकता था. मैं ज्यादातर सेल्फ स्टडी करता था. आप मदद के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं और ईमानदारी के साथ आगे बढ़ सकते हैं आपके प्रयास दृढ़ता बहुत महत्वपूर्ण है.'

हम स्टोव का उपयोग करते हैं- पवन की मां
पवन कुमार की मां सुमन देवी ने ANI को बताया, 'मुझे अच्छा लग रहा है कि हमें ये दिन देखने को मिला. हमारे पास एक छप्पर की छत है जो बारिश होने पर टपकती थी. इससे हमें बहुत परेशानी हुई. हमारे पास पैसे नहीं हैं. मैं गैस सिलेंडर खरीदने में अक्षम हूं, इसलिए हम अभी भी स्टोव का उपयोग करते हैं. मैंने एक मजदूर के रूप में कड़ी मेहनत की, वो अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके घर पर चुपचाप पढ़ाई करता था.'

हम अक्सर भूखे सो जाते थे- पवन के पिता
पवन कुमार के पिता मुकेश कुमार कहते हैं, 'उसकी कड़ी मेहनत, और हमारी परिस्थितियों के बावजूद उसके समर्थन के साथ, हमने उसे इस मुकाम तक पहुंचाया है. हमने खर्च उठाने में सक्षम होने के लिए सभी प्रकार के छोटे-मोटे काम किए. उनकी और हमारी बेटियों की शिक्षा. हमने बहुत मुश्किल से पैसे बचाए ताकि वह अच्छी तरह से तैयारी कर सके. हम अपने घर का नवीनीकरण नहीं कर सके क्योंकि हमने अपने बच्चों को पढ़ाया था. बारिश के दौरान हमारी छत टपकती थी और हम सभी रात बिताते थे. एक जगह, लेकिन वह पढ़ने के लिए जिद पर अड़ा था, हम अक्सर भूखे सो जाते थे, अब भगवान ने हम पर कृपा की है.'

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