कुछ लोग शादी को लेकर एक्साइटमेंट में रहते हैं कि शादी होगी तो ये करेंगे वो करेंगे, लेकिन कुछ लोग शादी के नाम पर खुश होना तो छोड़िए, नाराज होने लगते है. शादी को लेकर इस कदर डर होता है कि रिश्ता आने पर ही घबरा जाते हैं और इस फैसले को टालने के लिए बहाना ढूंढने लगते हैं.
ऐसे लोग रिलेशनशिप में तो आ जाते हैं, लेकिन शादी से बहुत कतराते हैं. जी हां ये सच है. आज आपको बताएंगे कि बात नॉर्मल नही है, ये एक तरह का फोबिया होता है.
शादी की कल्पना से होने वाला डर को मनोविज्ञान की भाषा में 'मैरिज फोबिया' या 'गामोफोबिया' कहते हैं. ध्यान देने वाली बात ये है कि 'गामोफोबिया' का मतलब यह नहीं है कि शख्स रिश्ते में ही नहीं जाएगा. बल्कि यह ऐसी स्थिति है, जिसमें शख्स रिश्ते में तो जाता है, लेकिन वह रिश्ते को किसी अंजाम तक पहुंचा पाने का साहस नहीं जुटा पाता और उस रिश्ते को किसी भी अच्छे-बुरे मोड़ पर छोड़ देता है. वह रिश्ते और पार्टनर को उतनी अहमियत, ऊर्जा, समय और कमिटमेंट नहीं दे पाता, जिसकी उम्मीद की जाती है.
इसके अलावा गामोफोबिया में पढ़ाई-लिखाई, करियर और सोशल रिश्ते भी नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकते हैं. गामोफोबिया से पीड़ित शख्स कभी इसके लिए मेंटली तैयार नहीं हो पाता. अगर ऐसा शख्स किसी के दबाव में आकर शादी कर भी ले तो रिश्ते को निभाने में तमाम गलतियों की गुंजाइश बनी रहती है.
कुछ मामलों में यह डर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर होता जाता है. वहीं कई बार अपने आसपास खराब रिश्तों को देखकर जवान हुए बच्चों के मन में शादी को लेकर एक तरह का डर पैदा हो जाता है, जो धीरे-धीरे गामोफोबिया का रूप ले लेता है और वे शादी से ही इनकार करने लगते हैं.
ध्यान रखिए कि शादी न करने या रोमांटिक रिश्ते से दूर रहने का एकमात्र कारण गामोफोबिया नहीं है. शादी और रोमांटिक रिश्ते से दूर रहना किसी की पर्सनल चॉइस भी हो सकती है. अगर समस्या पकड़ में आ जाए तो कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी की मदद से इस पर काबू पाया जा सकता है.
इस थेरेपी में सोचने के तरीके और आप जो करते हैं, उसे बदलने से आपको बेहतर महसूस कराने में मदद मिल सकती है. यह थेरेपी लोगों के सोचने के तरीके में बदलाव की कोशिश करती है और इसी माध्यम से शादी और लॉन्ग टर्म रिश्ते के डर को जीतने की कोशिश की जाती है.
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