नवरात्रि का पांचवा दिन देवी दुर्गा की स्वरूप स्कंदमाता को समर्पित है. मां स्कंदमाता को पार्वती और उमा नाम से भी जाना जाता है. मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं. स्कंदमाता को पीला और श्वेत यानि सफेद रंग काफी प्रिय है. इसलिए नवरात्रि के 5वें दिन पीला या सफेद पहनना शुभ माना जाता है.
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स्कंदमाता का स्कंद अर्थात भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में पूजा की जाती है. स्कंदमाता की चार भुजाएं होती हैं, दो भुजाओं में कमल का फूल, एक में तीर और एक हाथ में स्कंद यानि कार्तिकेय बालरूप में बैठे होते हैं. ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. इसीलिए इन्हें पद्मासना देवी के नाम से भी जाना जाता है, और ये शेर की सवारी करती हैं
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मान्यता है कि जो व्यक्ति संतान सुख के लिए पूरे विधि-विधान से मां की पूजा करता है उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है. साथ ही यश, बल और धन की वृद्धि होती है.
1-ऊँ स्कन्दमात्रै नम:
2- ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
3- या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
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