Facts about Boroline: आज की तारीख में बाज़ार में कई तरह के आर्टिफिशियल (artificial), महंगे (costly) और कैमिकल (chemical) से भरे हुए ब्यूटी प्रोडक्ट (beauty products) मिल जाएंगे. लेकिन इन सब के बीच आज भी 'खुशबूदार एंटीसेप्टिक क्रीम बोरोलिन' ने अपनी ओरिजिनैलिटी और सादगी बरकरार रखी हुई है. सर्दियां हो या गर्मियां हर घर में बोरोलिन का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए आज आप जान ही लीजिए बोरोलिन से जुड़ी हुई कुछ दिलचस्प बातें...
1929 में एक यंग बिज़नेसमैन गौरमोहन दत्ता एक स्वदेशी प्रोडक्ट लॉन्च करना चाहते थे, जिसका उपयोग ब्रिटिश शासन के दौरान भारत के आम लोग कर सकें.
बोरोलिन बनाने के लिए गौरमोहन ने एंटीसेप्टिक बोरिक एसिड, एसट्रिनजेंट, सनस्क्रीन जिंक ऑक्साइड और इमोलिएंट लैनेलिन जैसी सामग्री को मिलाया, जो घावों, फटे होंठों, रफ स्किन और स्किन इन्फेक्शन में फायदेमंद होते हैं. इसी तरह बोरोलिन का नाम रखा गया, जिसमें ''बोरो'', बोरिक पाउडर से लिया गया और ''ओलिन'' लिया गया एक लैटिन शब्द ओलियन से, जिसका मतलब तेल होता है.
वैसे 93 साल के बाद भी बोरोलिन की लोकप्रियता फीकी नहीं पड़ी. हम में से कई लोग आज भी इसकी प्यारी खुशबू और हाथी का लोगो याद कर इस क्रीम का इस्तेमाल करते हैं.