Designer Ruma Devi: राजस्थान के छोटे से गांव बाड़मेर से निकलकर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एनुअल गेस्ट स्पीकर बनना हर किसी के बस की बात नहीं.
ये कहानी है फैशन डिज़ाइनर, ट्रेडिशनल हैंडिक्राफ्ट आर्टिस्ट और सोशल वर्कर रूमा देवी की, जिन्होंने ग्रामीण भारतीयों की तरफ देखने का नज़रिया ही बदल दिया.
5 साल की उम्र में जब उन्होंने अपनी मां को खोया, उनके पिता ने दूसरी शादी की, तो किसी और ने उन्हें पाला. आर्थिक तंगी ने 8वीं के बाद पढ़ने का मौका नहीं दिया और 17 की उम्र में शादी हो गई. लेकिन उनकी किस्मत में सिर्फ ये ही थोड़ी ना था, उनकी शुरू से ही फैशन और हैंड एम्ब्रॉइड्री में पकड़ थी.
रूमा देवी ने अपने गांव की 10 महिलाओं को इकट्ठा किया और सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाया, जिसमें सबने 100-100 रुपये मिलाए और शुरू किया अपना कारवां. उन्होंने कपड़े खरीदे, धागे खरीदे और बाकी ज़रूरी चीज़ें खरीदकर कुशन और बैग बनाएं.
इसके बाद उन्होंने लोकल ऑर्गेनाइज़ेशन ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान ज्वॉइन किया और बाद में उन्हें वहां का प्रेसिडेंट बना दिया गया. इसके बाद उन्होंने दिल्ली में अपना पहला एग्जीबिशन लगाया. और फिर उन्हें ‘राजस्थान हेरिटेज वीक’ में जाने का मौका भी मिला.
इतना सब उन्होंने सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि 150 गांवों की 30 हज़ार महिलों को रोज़गार देने और सशक्त बनाने के लिए भी किया. 2018 में उन्हें देश के राषट्रपति से नारी शक्ति पुरस्कार भी मिला. इसी साल उन्हें डिज़ाइनर ऑफ द इयर का भी टाइटल मिला.
और अब उनकी पहचान सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि वे विदेशों जैसे जर्मनी, यूके, अमेरिका, सिंगापुर, थाईलैंड और श्रीलंका में भी अपनी कला की छाप छोड़ चुकीं हैं और अब उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी 17वें वार्षिक भारत सम्मेलन में बोलने के लिए बुलाया गया.