Eid ul-Adha 2023: बिरयानी (Biryani) का नाम सुनते ही मुंह में पानी ना आए ऐसा नहीं हो सकता. बिरयानी का स्वाद जितना मज़ेदार है उतना ही मज़ेदार इसका इतिहास भी है.
इतने चाव से आप जिस बिरियानी को खाते हैं सबसे पहले ये तो जान लीजिये कि उसका नामकरण कैसे हुआ. बिरयानी शब्द पर्शियन शब्द ‘बिरियन’ और ‘बिरिंज’ से बना है ‘बिरियन’ का मतलब है ‘कुकिंग से पहले फ्राई’ और ‘बिरिंज’ का मतलब है 'चावल'.
बिरयानी से जुड़ी कई सारी कहानियां मशहूर हैं. कुछ का मानना है कि लगभग साल 1398 के आसपास तर्क-मंगोल राजा तैमूर भारत में बिरयानी लाया था.
एक और कहानी बिरयानी के इतिहास को, भारत के दक्षिणी मालाबार कोस्ट की ओर ले चलती है. ‘उन सोरू’ नाम से चावल और मांस के एक मसालेदार मिश्रण का जिक्र तमिल लिटरेचर में भी मिलता है.
जो कहानी सबसे ज़्यादा प्रचलित है उसके अनुसार बिरयानी को भारत में लाने का श्रेय मुगल बादशाह शाहजहां की बेगम मुमताज़ महल को जाता है. जिन्होंने अपने बावर्चियों को कमज़ोर हो रहे सैनिकों के लिए कोई ऐसी डिश बनाने के लिए कहा जो उन्हें संतुलित आहार दे सके. उसके बाद चावल और मीट मिलाकर एक डिश तैयार की गई और इस तरह हुआ बिरयानी का जन्म. समय के साथ ये शाही मुगल रसोइयों में और भी बेहतरीन होती चली गयी.
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