वेज और नॉनवेज, दोनों तरह के खाने में कसूरी मेथी का इस्तेमाल किया जाता है. तंदूरी चिकन, चिकन टिक्का, बटर चिकन, पनीर मखनी, दाल मखनी, कढ़ाई पनीर, छोले मसाला, मीट मसाला में सबसे ज्यादा कसूरी मेथी डाली जाती है.
आमतौर पर सूखी मेथी के पत्तों को कसूरी मेथी कहा जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कसूरी मेथी में कसूरी शब्द कहां से आया? चलिए जानते हैं इस बारे में.
विभाजन से पहले पंजाब में कसूर नाम का जिला था, जो आज पाकिस्तान के पंजाब में है. इस जगह से सूफी बुल्ले शाह का संबंध है. कसूर में उगने वाली मेथी बेहद अच्छी मानी जाती थी. क्योंकि यह मेथी कसूर से आई, तो इसका नाम पड़ गया कसूरी मेथी. 1947 में भारत के विभाजन के बाद यह मेथी भारत के पंजाब के मलेरकोटला और पाकिस्तान की सीमा से लगे राजस्थान क्षेत्र में उगाई जाने लगी और आज राजस्थान कसूरी मेथी का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है.
मेथी का इस्तेमाल 3000 पूर्व से होता आ रहा है. भारत के अलावा, ग्रीक, मिस्र और रोमन लोग मेथी का इस्तेमाल अलग-अलग तरीकों से करते हैं.
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