महाराष्ट्र में मनाये जाने वाले त्यौहारों में गुड़ी पड़वा सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है. हिंदू पंचांग के अनुसार, साल के पहले महीने यानि चैत्र माह के पहले दिन इस त्यौहार को मनाया जाता है. इस साल गुड़ी पड़वा 2 अप्रैल, शनिवार को मनाया जा रहा है.
इस दिन को फसल दिवस के तौर पर मनाते हैं. महाराष्ट्र और गोवा के साथ ही दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. यहां ये त्यौहार 'उगादि' कहलाता है, तो वहीं उत्तर भारत में इस दिन से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है जिसमें 9 दिनों तक देवी दुर्गा की उपासना होती है.
महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा का विशेष महत्व है. इस दिन एक बांस लेकर उसके ऊपर चांदी, तांबे या पीतल का उल्टा कलश रखा जाता है जो गुड़ी कहलाता है फिर सुन्दर कपड़े से इसे सजाया जाता है. इसके अलावा घरों में मुख्य द्वार को तोरण यानि आम या अशोक के पत्तों से बंदरवार बनाकर सजाया जाता है और घरों में मीठी रोटी बनाई जाती है. जिसे पूरन पोली कहा जाता है.
मान्यता है कि इस दिन सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी ने संसार की रचना की थी और बुराइयों का अंत किया था. इसीलिए इस दिन ब्रह्माजी की विशेष रूप से पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है इस दिन अपने घर को सजाने और गुड़ी फहराने से घर में सुख समृद्धि आती है और बुराइयों का नाश होता है. गुड़ी पड़वा के दिन, कई जुलूस सड़क पर आयोजित किए जाते हैं. लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ उत्सव का आनंद लेते हैं और सड़क पर जुलूस का हिस्सा बनते हैं