आठ घंटे की नींद हमारी बॉडी को एक्टिव रखने के लिए बहुत ज़रूरी है लेकिन कुछ लोगों के नसीब में अच्छी नींद होती. वो काम और अपनी लाइफ़ में इतना उलझ जाते हैं कि सोना ही भूल जाते हैं. क्या आप भी ऐसे लोगों में से हैं जो सोने से पहले अपनी नींद के घंटों को काउंट करते हैं और हमेशा आठ घंटों से कम की ही नींद लेते हैं. तो बता दें कि एशियाई देशों में ज़्यादातर लोग आठ घंटे की नींद भी नहीं ले पाते हैं-
स्लीप साइकिल नाम के एक ऐप के एक सर्वे के अनुसार साउथ कोरिया और सऊदी अरब के लोग रोज़ाना साढ़े 6 घंटों से भी कम नींद लेते हैं.
जापान में ज़्यादा वर्क प्रेशर की वजह से लोग रोज़ाना 6.25 घंटों से भी कम नींद लेते हैं. ओवरवर्क यहां के लोगों की कम नींद का सबसे बड़ा कारण है. जापान में ओवरवर्क से हुई डेथ को लिगली कारोशी कहा जाता है.
साउथ कोरिया में तो काम के बीच फुरस्त के पलों के लिए नैप कैफे़ खोले गए हैं. इसके अलावा साउथ कोरिया में अच्छी नींद के लिए लोग प्राइवेट बंकर तक रेंट पर लेते हैं.
जब भारत में इसका सर्वे किया गया तो पता चला कि सोशल मीडिया भारतीय लोगों की नींद को डिस्टर्ब करने का सबसे बड़ा कारण है. 88 प्रतिशत लोग सोने से पहले फोन का इस्तेमाल करते हैं. वहीं 59 प्रतिशत लोग रात को ग्यारह बजे के बाद सोते हैं.
आइए आपको बताते हैं नींद पूरी ना होने के नुकसान