कैंसर का दर्द भरा इलाज़, लंबा ट्रीटमेंट हमेशा से एक बढ़ती परेशानी का विषय रहा है. लाइफ़स्टाइल और एनवायरमेंट में बदलाव के कारण पिछले कुछ सालों में कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है.
दुनिया भर में 40% से अधिक कैंसर की घटनाओं का सीधा कारण धूम्रपान और मोटापा है. इसके अलावा शराब, जैनेटिक म्युटेशन और एनवायरमेंटल पॉल्युटेंट्स ने भी कैंसर को बढ़ाया है.
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तम्बाकू दशकों से एक कार्सिनोजेन है. हर 3 में से 1 धूम्रपान करने वाले को तंबाकू से संबंधित हृदय रोग, कैंसर या फेफड़ों की बीमारियों से मरने का ख़तरा रहता है. यह फेफड़े, ऑरोफरीनक्स (गले), वोकल कॉर्ड, खाने की नली, किडनी, ब्लैडर, इंटेस्टाइन, पैन्क्रिया और पेट के कैंसर को जन्म देता है.
धूम्रपान छोड़ने वालों में, धूम्रपान जारी रखने वालों की तुलना में फेफड़ों के कैंसर से होने वाली मृत्यु दर 30-50% कम हो जाती है.
मोटापा और ज्यादा फैट वाला खाना तरह-तरह के कैंसर को जन्म देता है. दुनिया भर में कैंसर के लगभग 4% मामले मोटापे के कारण होते हैं. ये ज्यादातर 50-60 साल की आबादी में देखे जाते हैं लेकिन युवाओं में भी धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं. मोटापे से संबंधित कैंसर में कोलोरेक्टल कैंसर, महिला स्तन कैंसर, गर्भाशय (यूट्रस) और पित्ताशय (गॉल ब्लैडर) कैंसर शामिल हैं.
रिसर्च के अनुसार प्रोसेस्ड फूड, मांस और हाइ कैलोरी वाले खाने का कम सेवन मोटापे से होने वाले कैंसर को रोक सकता है. एक्सरसाइज और फाइबर से भरपूर खाना भी कैंसर को रोकने में फायदेमंद है.
हाल ही में हुई एक रिसर्च ने साबित किया है कि शराब हर साल 30 लाख से अधिक मौतों की जिम्मेदार है, जिसमें से 4 लाख लोगों की मृत्यु कैंसर के कारण होती है. शराब 7 अलग-अलग तरह के कैंसर- स्तन, मुंह, खाने की नली और लीवर आदि को बढ़ाती है.
वायु प्रदूषण, औद्योगिक कचरे से निकले ज़हरीले पदार्थ, प्रोसेस हुआ खाना और प्लास्टिक के संपर्क में आने से फेफड़े और पेट के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. हाल ही में हुई स्टडी के अनुसार धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों का कैंसर पैसिव स्मोकिंग और वायु प्रदूषण से जुड़ा है. भारी औद्योगिक कचरे और मैटल के संपर्क में आने वाला पानी भी खतरनाक साबित हो सकता है.
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इसलिए कैंसर या कैंसर जैसी बीमारियों को रोकने के लिए लाइफ़स्टाइल में बदलाव जैसे रेगुलर एक्सरसाइज, शराब का कम उपयोग और अच्छे खाने को रूटीन में शामिल करना ज़रूरी है.