आज भी लोग 2020 से पहले के वो दिन याद करते हैं जब वो अपनी पसंद से कहीं भी घूम और बिना चिंता के ट्रैवल (solo Travel) कर सकते थे. महामारी ने न केवल लोगों के ज़िंदगी जीने के अंदाज़ को बदला बल्कि लोगों को अकेला कर दिया. लोगों की खुशियों को एक नया आयाम देने के लिए हर साल 20 मार्च इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे (International Happiness Day) के रूप में मनाया जाता है. यूनाइटेड नेशन के अनुसार खुश रहना ह्युमन राइट है. इस साल की थीम 'बिल्ड बैक हैपियर' (Build Back Happier) यानी 'दोबारा खुशियां लाएं.' इस थीम का टारगेट कोरोना के बाद फैली निराशा को खत्म करना है.
इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे का लक्ष्य ग्लोबल लेबल पर असमानता को कम करना, गरीबी को ख़त्म और आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती को सुरक्षित रखना है. इस साल की थीम का एकमात्र लक्ष्य है कि लोग महामारी के ट्रॉमा से बाहर निकल एक बार फिर खुल कर ज़िंदगी जिएं.
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हर साल इसी तर्ज़ पर ग्लोबल हैप्पीनेस इंडेक्स भी जारी किया जाता है. 2022 में जारी इंडेक्स में 146 देशों में से फिनलैंड ने एक बार फिर पहली रैंक हासिल की है. भारत को इस लिस्ट में 136वां स्थान मिला है. पिछले साल के मुकाबले इस साल भारत की रैंक में सुधार हुआ है. 2021 में भारत 139वें स्थान पर था.