मेनोपॉज़ वो समय होता है जब नैचुरल तरह से मेंस्ट्रुअल साइकल यानि पीरियड्स बंद हो जाते हैं. आमतौर पर 40 से 50 की उम्र के बीच मेनोपॉज़ हो सकता है. एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन ही वो दो हॉर्मोन हैं जो मेंस्ट्रुअल साइकल यानि मासिक धर्म और ओव्यूलेशन को कंट्रोल करते है. जब ओवरी यानि अंडाशय अंडे रिलीज़ करना बंद कर देता है तो इससे मासिक धर्म रुक जाता है. ये उम्र बढ़ने के साथ होने वाली नैचुरल प्रक्रिया है और ये अधिकतर 40 साल की उम्र के बाद हो सकता है.
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चलिये आज आपको बताते हैं मेनोपॉज़ से जुड़ी हर ज़रूरी बातें, जिसके बारे में आपको पता होना चाहिए
- महिलाओं के मेंस्ट्रुअल साइकल में होने वाले बदलाव को मेनोपॉज़ल ट्रांज़िशन कहा जाता है
- कुछ महिलाओं को सर्जरी, ओवरी रिमूवल या कीमोथेरेपी के चलते ओवरी के डैमेज होने से early menopause यानि समय से पहले मेनोपॉज़ को झेलना पड़ सकता है
- आखिरी पीरियड्स से 12 महीने का समय एक महिला के मेनोपॉज को बताता है. यूंतो ये एक नैचुरल प्रोसेस है लेकिन पीरियड्स बंद होने के बाद महिलाओं में कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलाव आते हैं
- मेनोपॉज़ के बाद, महिलाएं पोस्टमेनोपॉज़ फेज़ में प्रवेश करती है. पोस्टमेनोपॉज़ल झेल रही महिलाओं को दिल की बीमारी, हड्डियों से जुड़ी हेल्थ प्रॉब्लम्स का खतरा होता है
- हड्डियों की सेहत के लिए हेल्दी डायट, एक्टिव लाइफस्टाइल और अपने डायट को मल्टीविटामिन और कैल्शियम के साथ सप्लीमेंट करने की सलाह दी जाती है
- मेनोपॉज़ल ट्रांज़िशन अपने साथ हॉट फ्लैशेज़, इर्रेग्युलर या मिस्ड पीरियड, चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग्स. सेक्स डिज़ायर में कमी और नींद में परेशानी ला सकता है.
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मेनोपॉज़ के लक्षणों को कम करने के लिए डॉ. रीता बख्शी ने कुछ तरीके सुझाये हैं:
- शांत रहने और कंफर्टेबल कपड़े पहनने से हॉट फ्लैशेज़ से निपटने में मदद मिल सकती है
- एक्सरसाइज़ करने, कैलोरी इनेटक कम करने से शरीर के वज़न को मैनेज करने, एनर्जी को बूस्ट करने और स्लीप पैटर्न को सुधारने में मदद मिल सकती है.
- मन को शांत रखने के लिए योग और ध्यान का अभ्यास करें. इसके साथ ही एल्कोहल का सेवन और स्मोकिंग कम करें
- ऑस्टियोपोरोसिस यानि जोड़ों के दर्द की बीमारी को दूर रखने के लिए कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन डी को अपने डायट में शामिल करे
- सोया, फ्लैक्स सीड्स, विटामिन ई जैसे नैचुरल सप्लीमेंट्स भी आपको मेनोपॉज के लक्षणों में आराम देने में मदद कर सकते है.
- एंग्ज़ायटी, मूड स्विंग्स और अनिद्रा जैसे फीलिंग्स से निपटने के लिए अपने फिजिशियन से बिना संकोच के खुल कर बात करें
(डॉ. रीता बख्शी, संस्थापक, रिसा आईवीएफ से इनपुट्स)
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