वेट लॉस के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग की जाती है. इस फास्टिंग में खाने के टाइम की लिमिट होती है, लेकिन अगर सही तरीके से यह फास्टिंग न की जाए, तो आप कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं. चलिए जानते हैं इंटरमिटेंट फास्टिंग से क्या समस्याएं हो सकती हैं.
इंटरमिटेंट फास्टिंग में खाने की लिमिट होती है. ऐसे में डाइट में न्यूट्रियंट्स से भरपूर चीजें शामिल करना मुश्किल हो सकता है. इसलिए इस फास्टिंग के कारण बॉडी में न्यूट्रियंट्स की कमी हो सकती है. खासतौर पर प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और हेल्दी फैट्स की कमी के चलते बॉडी पर नेगेटिव इफेक्ट पड़ सकता है.
लंबे समय तक भूखे रहने से पेट में एसिड बनने लगता है, जिसके कारण जलन होने लगती है. ये अल्सर की समस्या को बढ़ा सकता है. इंटरमिटेंट फास्टिंग के कारण अल्सर की बीमारी हो सकती है. इसलिए खाने का खास ध्यान रखें.
इंटरमिटेंट फास्टिंग को सही तरीके ना किया जाए, तो डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है. लंबे समय तक कुछ न खाना इर्रेगुलर ईटिंग पैर्टन का कारण बनती है. इसके कारण नॉन-फास्टिंग पीरियड के दौरान आप ओवर ईटिंग कर सकते हैं. साथ ही, यह इंसुलिन को प्रभावित कर सकता है.
इंटरमिटेंट फास्टिंग से ईटिंग डिसऑर्डर की समस्या हो सकती है. यह उन लोगों में ज्यादा पाई जाती है, जो एनोरेक्सिया नर्वोसा या बुलिमिया नर्वोसा जैसे ईटिंग डिजीज से परेशान हैं.
इंटरमिटेंट फास्टिंग के कारण हार्मोनल इंबैलेंस हो सकता है. इसके कारण मेटाबॉलिज्म, रिप्रोडक्टिव और ओवर ऑल हेल्थ पर असर पड़ता है.
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