बॉलीवुड के कई सेलेब्स पीसीओडी और पीसीओएस हार्मोनल डिसऑर्डर के बारे में बात कर चुके हैं. सारा अली खान से लेकर सोनम कपूर तक इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं. क्या आप इन दोनों बीमारियों के बीच का अंतर जानते हैं? चलिए जानते हैं इनके बीच अंतर और लक्षण. साथ ही, इस बीमारी को कैसे कंट्रोल किया जा सकता है.
पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज होने पर ओवरीज़ इम्मैच्योर एग्स रिलीज़ करता है, जिससे हार्मोनल इंबैलेंस होता है. इर्रेगुलर पीरियड्स और वेट गेन पीसीओडी के लक्षण हैं.
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है, जिसमें ओवरीज़ ज्यादा अमाउंट में मेल हार्मोन प्रोड्यूस करता है, जिसके कारण ओवरी में फॉलिक्युलर सिस्ट बन जाते हैं. पीसीओस होने पर बाल झड़ना और इनफर्टिलिटी जैसे सिम्टमस नज़र आते हैं.
पीसीओएस या पीसीओडी होने पर एक्सरसाइज करें. रोजाना कम से कम आधा घंटा एक्सरसाइज करें. खासतौर पर वॉक जरूर करें. दिन में कम से कम 1 हजार स्टेप्स चलें. इस रूटीन को फॉलो करने से इन बीमारी के खतरे को कम करने में मदद मिलेगी.
बॉडी को स्ट्रॉन्ग और फ्लेक्सिबल बनाने के लिए योगा करना चाहिए. कहते हैं योगा हर बीमारी का सॉल्यूशन है. पीसीओएस में मेंटल स्ट्रेस बढ़ सकता है. ऐसे में योग करने से फायदा होगा. मेडिटेशन और ब्रीदिंग करें.
पीसीओएस होने पर रिफाइंड शुगर से परहेज़ करें. यह बॉडी के लिए बेहद नुकसानदायक होते हैं. रिफाइंड शुगर की जगह आप शहद, गुड़, मेपल सिरप जैसे नैचुरल चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं.
अपनी कंडीशन को मॉनिटर करने और सही ट्रीटमेंट के लिए आपको रेगुलर मेडिकल चेकअप करवाना चाहिए. ऐसा करने से आप इस बीमारी से समय रहते ठीख हो सकते हैं. साथ ही, सर्टिफाइड हॉस्पिटल से ही अपना ट्रीटमेंट करवाएं.
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