Mother's Day 2023: ब्रेस्टफीडिंग यानि स्तनपान एक नैचुरल प्रोसेस है, लेकिन कई महिलाओं को ये नैचुरली नहीं होता. क्लाउडनाइन हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट आब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजिस्ट, डॉ. आशिमा गुलिया ने बताया कि हर मां को प्रेग्नेंसी के समय से ही ब्रेस्टफीडिंग की जर्नी के लिए तैयारी और इसकी प्रैक्टिस शुरू कर देनी चाहिए.
डॉक्टर ने कुछ टिप्स बताई कि कैसे न्यू मॉम्स अपने ब्रेस्टफीडिंग एक्सपीरिएंस को आरामदायक बना सकती हैं.
डॉक्टर गुलिया ने बताया कि प्रेग्नेंसी के समय ही अपने डॉक्टर से ब्रेस्टफीडिंग प्रोसेस के बारे में बात करें. डॉक्टर से अपनी जांच करवाएं और इनवर्टेड निप्पल के बारें में जानें क्योंकि इस तरह के निप्पल्स से बच्चे को दूध पीने में मुश्किल हो सकती है.
उनके मुताबिक डिलीवरी के ठीक बाद का पहला एक घंटा काफी ख़ास होता है. इसे 'गोल्डन आवर' भी कहा जाता है. उन्होंने बताया इस समय बच्चे को मां से स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट में यानि चेस्ट पर रखना चाहिए. इससे मां और बच्चे में बॉन्डिंग होती है और हॉर्मोन रिलीज़ होते हैं जिससे दूध आने में मदद मिलती है. साथ ही उन्होंने बताया कि डिलीवरी के आधे घंटे बाद से ही ब्रेस्टफीडिंग शुरू कर देनी चाहिए.
डॉ. गुलिया ने बताया कि नई मां को अगर स्तनपान कराने में मुश्किल हो रही है तो उन्हें स्तनपान सलाहकार की मदद लेनी चाहिए. इससे उन्हें फीड कराने के लिए अलग-अलग पोज़िशन के बारे में जानकारी मिलेगी.
डॉक्टर ने सुझाव दिया कि इस समय वेट कम करने के बारे में ना सोचें और प्रोटीन व कैलोरी से भरपूर डायट लें. उन्होंने बताया कि दूध बनने के लिए शरीर को इस समय 500 से ज़्यादा कैलोरी की ज़रूरत होती है. साथ ही अपने आपको हाइड्रेटिड रखें और हर फीड के बाद एक ग्लास पानी पीएं.
अपने कमरे में या बेड के पास नर्सिंग स्टेशन बनाएं जहां आप बच्चे को दूध पिला सकें. यहां फीडिंग पिलो, पानी, पढ़ने के लिए बुक या म्यूज़िक सिस्टम रख सकते हैं, जिससे आप इस समय रिलैक्स महसूस करें.