COPD: ऐसा हम अक्सर सुनते हैं कि जो लोग स्मोक नहीं करते उन्हें भी कई बीमारियां घेर लेती हैं जो अक्सर स्मोक करने वालों में देखी जाती है. धूम्रपान की वजह से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज यानी COPD हो सकता है लेकिन आजकल ये नॉन स्मोकर्स को भी हो रहा है.
COPD होने पर सांस लेने वाली नलियों की दीवारों में सूजन और बलगम ज्यादा हो सकता है. इसके अलावा फेफड़ों में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के फ्लो पर भी असर पड़ाता है.
COPD के लक्षणों में लगातार खांसी, बलगम, सांस लेने में मुश्किल और थकान शामिल हैं. यह एक प्रोग्रेसिव बीमारी है, जिसका मतलब है कि समय के साथ इसके लक्षण बदतर हो सकते हैं.
प्रदूषण: वायु प्रदूषण, धूल, और कैमिकल धुएं के लंबे समय तक कॉन्टेक्ट में रहना COPD का कारण बन सकता है. इंडोर पॉल्यूशन जैसे खाना पकाने के धुएं और बायोमास फ्यूल का इस्तेमाल भी जोखिम को बढ़ा सकता है.
पैसिव स्मोकिंग: दूसरों के धूम्रपान का धुआं (पैसिव स्मोकिंग) भी फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है और COPD का कारण बन सकता है.
पुरानी बीमारियां: बचपन में फेफड़ों को बार-बार होने वाली बीमारियां और सांस से संबंधित समस्याएं भी COPD का कारण बन सकती हैं.
काम का वातावरण: कुछ इंडस्ट्री में काम करने वाले लोग जैसे कि कोयला खदानों, कंस्ट्रक्शन साइट्स, या कृषि में, जहां धूल और कैमिकल धुएं का ज्यादा कॉन्टैक्ट होता है, वे भी ज्यादा रिस्क में होते हैं.
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