Microplastics In Pregnant Women: माइक्रोप्लास्टिक को लेकर हालही में हुई स्टडी में एक बार फिर इसके खतरनाक प्रभाव की पुष्टि हुई है. टॉक्सिकोलॉजिकल साइंसेज जर्नल में छपी एक स्टडी में बताया गया है कि एक इंसान के प्लैसेंटा में बड़ी संख्या में माइक्रो प्लास्टिक्स मौजूद होते हैं.
एक इंसान के प्लेसेंटा में इनमें से कितने माइक्रोप्लास्टिक हैं ये पता लगाने के लिए न्यू मैक्सिको हेल्थ साइंस यूनिवर्सिटी वैज्ञानिकों ने एक नये टूल का इस्तेमाल कियाहै. जिसमें सामने आया है कि उन्होंने जितने टेस्ट किए उनमें से सभी 62 प्लेसेंटा सैम्पल्स में माइक्रोप्लास्टिक्स पाया गया और मात्रा 6.5 से 790 माइक्रोग्राम पर टिश्यू तक थी.
रिसर्चर्स ने सुझाव दिया है कि माइक्रोप्लास्टिक की बढ़ती मात्रा आंतों में सूजन, पेट के कैंसर और घटते स्पर्म जैसी हेल्थ प्रॉब्लम्स खड़ी कर सकता है.
क्या होता है माइको प्लास्टिक?
हम दिन भर में जिस भी चीज का इस्तेमाल करते हैं उनमें से अधिक प्लास्टिक की बनी होती है. पानी की बोतल से लेकर कॉस्मेटिक्स की पैकिंग तक सब प्लास्टिक से बनी रहती है. प्लास्टिक की बहुत ही छोटे-छोटे टुकड़े माइक्रो प्लास्टिक कहलाते हैं. ये इतने छोटे होते हैं कि खुली आंखों से ये दिखाई भी नही देते. विज्ञान की भाषा में समझें तो माइक्रो प्लास्टिक 5mm से कम लंबे प्लास्टिक के टुकड़े जैसे होते हैं.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि माइक्रोप्लास्टिक भ्रूण के विकास को प्रभावित कर सकते हैं और साथ ही शिशुओं के इम्यून सिस्टम पर भी असर डाल सकते हैं
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