यूट्रस वुमेन(Uterus Removal) का सबसे ज़रूरी रिप्रोडक्टिव ऑर्गन है जिसे वुमेन रिलेटेड कई बीमारियों की वजह से रीमूव कर दिया जाता है. यूट्रस रीमूव करने के लिए किए जाने वाले ऑपरेशन को हिस्टेरेक्टॉमी (Hesterectomy) कहते हैं. इसमें फैलोपियन ट्यूब, ओवरी (ovary), सर्विक्स (Cervix) और दूसरे रिप्रोडक्टिव पार्ट्स (Reproductive parts) का रीमूवल भी शामिल है. समय के साथ भारत में कम उम्र की महिलाओं में भी यूट्रस रीमूवल के केसों में बढ़ोतरी देखी गई है.
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नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार 2015-16 में 30-39 वर्ष की 3.6% महिलाओं की हिस्टेरेक्टॉमी की गई थी. आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ने सितंबर 2018 से अप्रैल 2019 के बीच 24,00,981 हेल्थ केयर पैकेज दिए थे जिनमें से 21,896 हिस्टेरेक्टॉमी के लिए थे.
यूट्रस रीमूव करने से महिलाओं की फिज़िकल और मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है. महिलाओं को मेनोपॉज़ और ओस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याएं कम उम्र में हो जाती हैं. वुमेन को इस हेल्थ रिलेटेड बर्डन से बचाने के लिए पूरे देश में प्रीज़र्व द यूट्रेस कैंपेन लॉन्च किया गया है. यूट्रस रीमूवल को लेकर मई महीना हिस्टेरेक्टॉमी अवेयरनेस मंथ के तौर पर मनाया जाएगा. फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिक एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (Federation of Obstetric and Gynaecological Societies of India) और इंटीग्रेटेड हेल्थ एंड वेलबींइग काउंसिल (IHW) मिलकर इस अवेयरनेस कैंपेन को चलाएंगे.