कुल प्रजनन दर को टोटल फर्टिलिटी रेट (Total Fertility Rate) भी कहते हैं यानि अपने फर्टाइल पीरियड (Fertile Period) में महिला कितने बच्चे पैदा करती है. फर्टिलिटी रेट का ज़्यादा या कम होना होना देश की पॉपुलेशन (Population), कम्युनिटी एजुकेशन, वुमेन हेल्थ और कॉन्ट्रासेप्टिव मेथड्स (Contraceptive Methods) को लेकर अवेयरनेस के बारे में बताता है. बता दें कि पिछले कुछ सालों के मुकाबले देश की प्रजनन दर में गिरावट आई है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (National Family Health Survey) ने दूसरे फेज़ का डेटा रिलीज़ किया जिसके मुताबिक अब देश में अधिकतर समुदायों का TFR 2 से भी कम हो गया है.
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आइए समुदायों के TFR पर नज़र डालते हैं
1992-93 के बाद से मुसलमानों की प्रजनन दर में 46.5 फीसदी गिरावट आई है. इस साल इनका टोटल फर्टिलिटी रेट 2.36 है. पिछले सर्वे में जबकि फर्टिलिटी रेट 2.62 था.
हिंदू समुदाय का TFR 2.13 से घटकर 1.94 रह गया है.
ईसाई धर्म में ये आंकड़ा 1.99 से 1.88 हो गया है.
दो समुदाय ऐसे भी हैं जिनका फर्टिलिटी रेट घटने की जगह बढ़ा है
सिख समुदाय का फर्टिलिटी रेट 1.58 से बढ़कर 1.61 हो गया है वहीं जैन समुदाय में भी 0.4 की बढ़ोतरी देखी गई पिछले साल 1.2 औसत दर से बढ़कर 1.6 फर्टिलिटी रेट हासिल कर लिया है.
देश में केवल ऐसे पांच राज्य है जहां अभी भी औसत दर 2.1 से अधिक है-
बिहार 2.98
मेघालय 2.91
उत्तर प्रदेश 2.35
झारखंड 2.26
मणिपुर 2.17
वही सिक्किम और अंडमान निकोबार का फर्टिलिटी रेट देश में सबसे कम रहा.