West Nile Virus: केरल के स्वास्थ्य विभाग ने तीन जिलों, त्रिशूर, मलप्पुरम और कोझिकोड में वेस्ट नाइल बुखार के मामलों की पुष्टि के बाद अलर्ट जारी किया है. ऐसे में जरूरी है कि वेस्ट नाइल बुखार के बारे में हमें सबकुछ पता हो. आइये जानते हैं क्या है ये और इसके लक्षण व बचाव क्या है.
वेस्ट नाइल वायरस मच्छरों के काटने से होता है जो के क्यूलेक्स नामक मच्छर से फैलाता है. ये वायरस पक्षियों और इंसानों में भी पाया जाता है. आमतौर पर यह वायरस गर्मियों में ज़्यादा फैलता है जब मच्छर ज्यादा एक्टिव होते हैं. इसके
वेस्ट नाइल वायरस के लक्षण हल्के हो सकते हैं और कुछ मामलों में सीरियस भी हो सकते हैं. यह लक्षण आम तौर पर 2 से 14 दिनों के अंदर दिखाई देते हैं
बुखार: ज्यादातर लोगों को बुखार होता है जो अचानत या आराम से भी आ सकता है.
सर्दी: मरीज़ को बुखार के साथ सर्दी भी लग सकती है.
सर दर्द: सर में दर्द होना एक आम लक्षण माना जाता है.
थकान: मरीज़ को थकान या बेचैनी हो सकती है.
बदन दर्द: वेस्ट नाइल वायरस का लक्षण बदन में दर्द और तकलीफ महसूस होना हो सकता है.
उल्टी या दस्त: कुछ लोगों को उलटी या दस्त की समस्या हो सकती है.
स्किन रैश: कुछ लोगो को स्किन पर छोटे छोटे दाने या रैशेज भी हो सकते हैं.
वेस्ट नील वायरस से बचने के लिए कुछ आसान बचावों पर ध्यान दे सकते हैं
मॉस्क्वीटो रेपेलेंट यूज़ करें: मॉस्क्वीटो रेपेलेंट का इस्तेमाल करें, खासकर तब जब घर से बाहर जाएं या फिर रात में जरूर करें.
लंबी बाजू वाले कपड़े: रात को मच्छर के काटने से बचने के लिए लॉन्ग स्लीव्स और पैन्ट्स पहनें.
मॉस्क्वीटो नेट्स: घर में खिड़की और दरवाजों पर मॉस्क्वीटो नेट्स लगाएं, जिससे मच्छर घर में न आ पाएं.
पानी जमा न होने दें: इस वायरस से बचने के लिए पानी जमा होने वाली जगहों को साफ़ रखें और जहां ज्यादा मच्छर होते हैं ऐसी जगहों पर जाने से बचें
शाम के समय: शाम के समय मच्छरों की एक्टिविटी ज़्यादा होती है इसलिए
पॉसिबल हो तो घर में रहें.
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