Digital Detox : इसमें कोई दोराय नहीं कि ज़्यादतर लोग सुबह उठते ही सबसे पहले अपना फोन चेक करते हैं और रात में सोने से पहले भी फोन में ही लगे रहते हैं. इतना ही नहीं दिनभर भी फोन की नोटिफिकेशन (Notifications) बार-बार चेक करते रहते हैं. डिजिटल दुनिया (Digital World) से इतना जुड़ाव सेहत (Health) पर असर डालने का काम करता है.
अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के 'स्ट्रेस इन अमेरिका' सर्वे में सामने आया कि लगभग 18% लोगों की लाइफ में टेकनोलॉजी की वजह से स्ट्रेस है. स्वेडन में हुई एक रिसर्च की माने तो टेकनोलॉजी का ज़्यादा इस्तेमाल करने से लोगों को डिप्रेशन, नींद न आना और स्ट्रेस बढ़ने जैसी समस्या घेर लेती है. पेन्सिलवेनिया यूनिर्सिटी के रिसर्चर्स ने पाया कि फेसबुक, स्नैपचैट और इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया साइट्स का इस्तेमाल कम करने से लोगों में डिप्रेशन के लक्षण और अकेलापन कम हुआ है. डिजिटली एक्टिव रहने पर आप वर्क लाइफ बेलेंस नहीं कर पाते, ऑफिस की छुट्टी वाले दिन भी ऑफिस के मेल्स, टेक्स्ट चेक करना लाइफ को स्ट्रेसफुल बनाता है.
सोशल मीडिया पर ज़्यादा समय बिताने से हम अपनी लाइफ को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों, सेलेब्स और यहां तक की अनजान लोगों की लाइफ से कंपेयर करने लगते हैं और सोचते हैं कि बाकी लोगों की ज़िंदगी हमारी लाइफ से बेहतरीन है. डिजिटल दुनिया से ज़्यादा जुड़ाव होने से लोगों को 'फोमो' यानि 'फियर ऑफ मिसिंग आउट' होने लगता है. उन्हें ऐसा लगता है कि अगर वो अपना फोन चेक नहीं करेंगे तो वे कोई ज़रूरी टेक्स्ट या कोई पोस्ट मिस कर देंगे. इसलिए ज़रूरी है कि डिजिटल डिटॉक्स किया जाए और ऑफलाइन हो जाया जाए.
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अगर आप कुछ समय के लिए पूरी तरह से डिजिटल डिटॉक्स करना चाहते हैं तो अपने आपको पूरी तरह से टेकनोलॉजी से दूर कर लें. ऐसा करने से आप आज़ाद और रीफ्रेश मेहसूस करेंगे. लेकिन ऐसा करना काम की वजह से कई लोगों के लिए पॉसिबल नहीं है.
ऐसे में आप मिनी डिटॉक्स कर सकते हैं.