होलाष्टक होली (Holi 2022) से आठ दिन पहले शुरू हो जाता है इस दिन कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है. मान्यता है कि होलाष्टक (Holika Dahan) में भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को तरह-तरह के कष्ट दिए गए थे. (Holi Story)
हिंदू पंचाग के अनुसार होलिका दहन भद्रा रहित किया जाता है. इस बार भद्रा का साया होने की वजह से होलिका दहन मध्य रात्रि को किया जाएगा.
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होलिका दहन भद्रा में नहीं करने का कारण -
शास्त्रों के अनुसार भद्रा को अशुभ माना गया है. भद्रा के स्वामी स्वंय यमराज हैं. (Yamraj) इसलिए इस योग में कोई भी शुभ काम न करें. होलिका दहन भद्रा के पुंछ काल में किया जाता है.
भद्रा पुंछ - 17 मार्च 09 बजकर 04 मिनट से 10 बजकर 14 मिनट तक
भद्रा मुख - 17 मार्च शाम 06 बजकर 32 मिनट से रात 08 बजकर 57 मिनट तक
पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य की पुत्री और शनिदेव की बहन है. भद्रा का स्वभाव शनिदेव की तरह क्रोधी है. कहा जाता है कि भद्रा हर समय तीनों लोकों का भ्रमण करती रहती है इसलिए जब पृथ्वी पर भद्रा होती है तो उस समय किसी भी तरह का शुभ काम नहीं किया जाता है. भद्रा में होलिका दहन और रक्षा बंधन जैसे त्योहार मनाने की मनाही है.