होलिका दहन का मुहूर्त इस साल 17 मार्च यानि गुरुवार 9 बजकर 20 मिनट से लेकर देर रात 10 बजकर 31 मिनट तक ही रहेगा. बुराई पर अच्छाई की जीत को होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है.
आइए जानते हैं होलिका दहन के समय की जाने वाली पूजा की पूरी विधि
होलिका दहन के लिए ज़रूरी सामग्री
- रोली
- अक्षत
- गाय के गोबर से बनी माला
- एक कटोरी पानी
- फूल
- अगरबत्ती और धूप
- कच्चा सूती धागा
- बताशा
- हल्दी के टुकड़े
- मूंग की अखंड दाल
- नारियल
- नया अनाज जैसे गेहूं
- गुलाल पाउडर
होलिका दहन की पूजा विधि
- पूजा की सामग्री को प्लेट में सजा लें. थाली के साथ पानी का एक छोटा बर्तन रख लें. पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह कर बैठ जाइए. पूजा थाली और अपने ऊपर पानी छिड़क कर 'ऊँ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु' मंत्र का तीन बार जाप कर लीजिए. दाएं हाथ में फूल और चावल लेकर गणेश जी का ध्यान करें.
- भगवान गणेश की पूजा के बाद देवी अंबिका की पूजा करते हुए 'ऊँ अम्बिकायै नम: पंचोपचारार्थे गंधाक्षतपुष्पाणि सर्मपयामि' मंत्र का जाप कर लीजिए. मंत्र का जाप करते हुए रोली और चावल देवी को अर्पित करें.
- मंत्र का जाप करते हुए रोली और चावल लगाकर भगवान नरसिंह को चढ़ाएं. अब भक्त प्रह्लाद का ध्यान कर फूल पर रोली और चावल लगाकर चढ़ाएं.
- होलिका के आगे हाथ जोड़कर प्रार्थना करें. इसके बाद चावल, धूप, हल्दी के टुकड़े, मूंग दाल, नारियल और सूखे गाय के गोबर से बनी माला जिसे गुलारी और बड़कुला कहा जाता है अर्पित करें. होलिका की परिक्रमा करें और कच्चे सूत के तीन, पांच या सात फेरे बांध लीजिए. होलिका के ढेर के सामने पानी के बर्तन को खाली कर दें.
- इसके बाद आप होलिका दहन कर सकते हैं. होलिका की परिक्रमा कर बड़ों का आशीर्वाद ले लीजिए.