Independence Day 2023: हमारा राष्ट्रीय झंडा 'तिरंगा' स्वतंत्र भारत की प्रगति और एकता की प्रतीक है. यह उन शहीदों के अटल समर्पण का साक्षी है जिन्होंने देश को स्वतंत्र कराने में मुख्य भूमिका निभाई.
भारत के झंडे की बात करते समय, केसरी, सफेद, हरे और नीले रंग की याद आती है, लेकिन क्या आपको पता है कि शुरू में 1921 में प्रस्तावित डिजाइन में दो लाल और हरे बैंड थे, जो हिन्दू और मुस्लिमों को प्रतिनिधित्व करते थे, और एक सफेद बैंड शांति और अन्य समुदायों को, साथ ही एक चरखा था जो विकास की प्रतिनिधित्व करता था.
स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकय्या के योगदान के बाद, कराची में 1931 में कांग्रेस समिति की बैठक के दौरान इस डिजाइन में संशोधन किए गए. लाल को केसरी रंग में बदला गया और सिक्वेंस सेट किया गया.
इसके बाद 22 जुलाई 1947 को, दिल्ली के संविधान हॉल में, भारतीय संविधान सभा इकट्ठा हुई और एक स्वतंत्र भारत के लिए राष्ट्रीय झंडे को स्वीकार किया गया, प्रस्ताव में कहा गया था कि झंडे में गहरे केसरी, सफेद, और गहरे हरे रंगों का एक समान हिस्सा होगा. सफेद बैंड में नीले रंग का एक चक्र होगा.
इसके बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 16 अगस्त 1947 को लाल किले पर भारतीय राष्ट्रीय झंडे को फहराया था. और तबसे ये परंपरा चली आ रही है.
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