Kumari Puja 2023: आज महाअष्टमी के दिन जयरामबाती में मां सारदा की पूजा-अर्चना की गई. बेलूर मठ के साथ-साथ जयरामबाती में भी अष्टमी के दिन कुमारी पूजा की प्रथा है. हर साल की तरह इस साल भी यहां की कुमारी पूजा पूरे विधि-विधान के साथ संपन्न हुई. इस दिन कुमारी पूजा के अवसर पर सुबह से ही सारदा जन्मस्थान पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी.
कोतुलपुर की रहने वाली तुहिना भट्टाचार्य को पारंपरिक रूप से देवी की तरह तैयार किया गया और उनकी पूजा की गई.
इसके अलावा बेलूर मठ में पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार कुमारी पूजा संपन्न की गई. 1901 में स्वामी विवेकानन्द ने बेलुरा मठ में दुर्गा पूजा की शुरुआत की. तब से बेलूर मठ में कुमारी पूजा होती आ रही है.
हावड़ा के बागनान की रहने वाली उम्र 5 साल 7 महीने की सीमांतिनी घोषाल को इस साल मां की तरह सजाया गया. महाअष्टमी की सुबह सबसे पहले अष्टमी विहित पूजा हुई. फिर कुमारी पूजा शुरू की गई.
कुमारी पूजा से पहले शिशुकन्या या कुमारी कन्या को स्नान कराकर लाल बनारसी वस्त्र पहनाया जाता है. आभूषणों और फूलों से मां की तरह सजावट की जाती है. फिर देवी की मूर्ति के सामने बैठकर पूजा की जाती है. विधि-विधान से मंत्रोच्चारण एवं शर्षोपचार के साथ यहां भी कुमारी पूजन संपन्न हुई.
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