Mahakal Corridor: क्यों की जाती है महाकाल की भस्म आरती, क्या है इसके पीछे पौराणिक महत्व

Updated : Oct 22, 2022 14:52
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Editorji News Desk

Mahakal Corridor: वैसे तो देशभर में शिव जी के कई प्रसिद्ध मंदिर और शिवालय हैं लेकिन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना अलग ही महत्व है. पुराणों और धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, ज्योति के रूप में स्वयं भगवान शिव विराजमान हैं इसलिए इन्हें ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है. इन 12 ज्योर्तिलिंगों में एक है महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग जो मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है.

महाकाल के नाम से प्रसिद्ध भगवान शिव(Lord Shiva) की यहां भस्म आरती की जाती है जो दुनिया भर में काफी प्रसिद्ध है. भस्मार्ती को मंगला आरती नाम भी दिया गया है. महा शिवरात्रि(Maha Shivratri) के दिन बाबा महाकाल को दूल्हे की तरह सजाया जाता है. साल में एक बार दिन में होने वाली भस्म आरती भी महा शिवरात्रि के दूसरे दिन होती है, जिसमे बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं.

क्यों की जाती है महाकाल की भस्म आरती? (What is Bhasma Aarti)

शिवपुराण में बताया गया है कि जब सती ने अपते पति शिव के अपमान के कारण पिता दक्ष के यज्ञ में स्वंय को आहूत कर दिया. भगवान शिव क्रोधित हो गए थे और अपनी चेतना में नहीं रहे. इसके बाद वो माता सती के मृत शरीर को लेकर इधर-उधर घूमने लगे.

भगवान शिव को क्यों कहा जाता है 'नीलकंठ'?

जब भगवान शिव को श्रीहरी ने देखा तो उन्‍हें संसार की चिंता सताने लगी. हल निकालने के लिए उन्‍होंने माता सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से कई हिस्‍सों में बांट दिया था. जहां-जहां माता सती के अंग गिरे वो स्थान शक्तिपीठ के रूप में स्थापित हो गए. भगवान शिव को लगा कि कहीं वो सती का हमेशा के लिए ना खो दें इसलिए उन्‍होंने उनकी शव की भस्म को अपने शरीर पर लगा लिया.

भस्म आरती को लेकर मान्यताएं

कहा जाता है कि भस्म आरती भगवान शिव को जगाने के लिए की जाती है इसलिए आरती सुबह 4 बजे की जाती है. वर्तमान समय में महाकाल की भस्‍म आरती में कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर की लकड़‌ियों को जलाकर तैयार क‌िए गए भस्‍म का इस्तेमाल क‌िया जाता है.

ऐसी मान्यता है क‌ि सालों पहले श्मशान के भस्‍म से आरती होती थी लेक‌िन अब कंडे के बने भस्‍म से आरती श्रृंगार क‌िया जाता है. मान्यताओं के मुताबिक भस्‍म आरती देखना महिलाओं के लिए निषेध है. इसल‌िए कुछ समय के ल‌िए उन्हें घूंघट करना पड़ता है आरती के दौरान पुजारी एक वस्‍त्र धोती में होते हैं

क्या आप जानते हैं शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में अंतर? जानें पौराणिक कथा

Maha ShivratriLord ShivaMaha Shivratri 2022

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