हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ अमावस्या आषाढ़ मास की अंतिम तिथि होती है. यह दिन पितरों के लिए समर्पित है. माना जाता है कि इस दिन पितरों का तर्पण करना चाहिए. इसे पितृ तर्पण भी कहा जाता है. इससे पितृ दोषों से मुक्ति मिलती है. साथ ही, पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है. चलिए जानते हैं इस साल कब है आषाढ़ अमावस्या.
आषाढ़ अमावस्या तिथि की शुरुआत 5 जुलाई की सुबह 4 बजकर 57 मिनट से 6 जुलाई सुबह सुबह 4 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे मे ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या का व्रत 5 जुलाई को रखा जाएगा.
इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 12 मिनट से 6 बजकर 21 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा, पितृ तर्पण सुबह 11 बजे तक कर सकते हैं.
आषाढ़ अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है. स्नान के बाद दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इसके अलावा, कुछ लोग इस दिन व्रत रखते हैं और विशेष रूप से भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करते हैं.
आषाढ़ अमावस्या के दिन पितरों के नाम से किया गया दान फलदायी होता है. यह मान्यता है कि पितरों को प्रसन्न करने से जीवन में खुशहालि और शांति बनी रहती है.
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