Chaitra Navratri 2024: नवरात्रि पर बैद्यनाथ धाम, करणी माता मंदिर समेत कई मंदिरों में दिखी भक्तों की भीड़

Updated : Apr 09, 2024 13:56
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Editorji News Desk

9 अप्रैल यानी आज से चैत्र नवरात्रि शुरू हो गई है. लगातार 9 दिन तक चलने वाली इस नवरात्रि पर पूरे देश में दुर्गा जी के मंदिर में अलग ही रौनक देखने को मिलती है.

मंदिरों में रौनक

इस पावन दिन झारखंड के बैद्यनाथ धाम में भक्तों की भीड़ दिखाई दी, जहां भक्त फूल माला और आरती की थाल लेकर मां के दर्शन कर पूजा करते दिखाई दिए. वहीं अयोध्या में भक्तों ने पहले सरयू नदी में स्नान किया, फिर भक्तों ने मां दुर्गा की पूजा की. वहीं बीकानेर में प्रसिद्ध करणी माता मंदिर में भक्तों का हुजूम दिखा.

इस मौके पर दिन भक्त करणी माता मंदिर में रहने वाले हजारों चूहों के लिए दूध भी लेकर पहुंचे और फिर मां की पूजा कर प्रसाद चढ़ाया. वहीं लखनऊ, लुधियाना और वाराणसी समेत देश के कई राज्यों में मां के दरबार में भक्तों की भीड़ दिखाई दी.

बता दें कि  हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि शुरू हो जाती है. चैत्र नवरात्रि के शुभारंभ के साथ ही हिंदुओं के लिए नया साल भी अब से आरंभ होता है.

चैत्र नवरात्रि पर लगातार 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना और मंत्रोचार किया जाता है. अब पूरे नौ दिन तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाएगी.मां के हर स्वरूप का खास महत्व है. ऐसे में इसकी विधि-विधान के साथ पूजा करने के साथ मां दुर्गा के शक्तिशाली मंत्रों का जाप किया जाता है.

नवरात्रि देवी दुर्गा मां की पूजाविधि

नवरात्रि के दिन प्रातः घर को साफ-सुथरा करके मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं और सुख-समृद्धि के लिए दरवाजे पर आम और अशोक के ताजे पत्तों का तोरण लगाएं. मान्यता है कि माता की पूजा के दौरान देवी के साथ तामसिक शक्तियां भी घर में प्रवेश करती हैं,लेकिन मुख्यद्वार पर बंदनवार लगी होने के कारण तामसिक शक्तियां घर के बाहर ही रहती हैं.

इस दिन सुबह नहाने  के बाद माता दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर स्थापित करना चाहिए. मां दुर्गा की मूर्ति के बाईं तरफ श्री गणेश की मूर्ति रखें. उसके बाद माता के सामने मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं, जौ समृद्धि व खुशहाली का प्रतीक माने जाते हैं.

मां की आराधना के समय अगर आपको कोई भी मंत्र नहीं आता हो तो केवल दुर्गा सप्तशती में दिए गए नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे' से पूजा कर सकते हैं और यही मंत्र पढ़ते हुए पूजन सामग्री अर्पित करें.
 

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