Chhath Puja 2023: छठ हिन्दू आस्था का ऐसा पर्व है जिसमें मूर्ति पूजा नहीं होती. इसमें डूबते और उगते सूर्य की उपासना की जाती है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ शुक्रवार को हुई जो उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ सोमवार को संपन्न होगा.
अस्ताचलगामी यानि की डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का समय 19 नवंबर को शाम 5 बजकर 26 मिनट से है. वहीं, उदीयमान सूर्य यानि की उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पण करने का समय 20 नवंबर सुबह के 6 बजकर 47 मिनट से है. धार्मिक दृष्टिकोण से ये व्रत संतान प्राप्ति और सुखी जीवन की कामना के लिए किया जाता है. वहीं आध्यात्म के लिहाज से मन को तामसिक प्रवृत्ति से बचाने के लिए इस पर्व को मनाने की परंपरा है.
चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है और उगते सूर्य के अर्घ्य के साथ इसका समापन होता है.
नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत होती है जो इस साल 17 नवंबर को है. इस दिन छठ व्रती घर की साफ-सफाई के बाद चावल, लौकी की सब्ज़ी और चने की दाल को प्रसाद के तौर पर खाते हैं.
छठ पूजा का दूसरा दिन यानि कि खरना (kharna) सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है. इसे लोहंडा और संझत भी कहते हैं. खरना वाले दिन पूरे दिन व्रत रखा जाता है और रात में पूरी पवित्रता के साथ बनी गुड़ की खीर का प्रसाद खाया जाता है और इसके बाद से ही 36 घंटों का कठिन व्रत शुरु हो जाता है.
महापर्व के तीसरे दिन छठ व्रती नदी, तालाबों और घाटों पर जाकर छठी मइया और सूर्य की उपासना करते हैं और अस्ताचल गामी यानि कि डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं.
छठ पूजा के अगले दिन उदीयमान सूर्य यानि कि उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व का समापन हो जाता है.