Durga Puja 2022 : पश्चिम बंगाल (West bengal's Durga pooja) में दुर्गा पूजा की रौनक दिखाई देने लगी है. आज हम आपको जलपाईगुड़ी (Jalpaiguri) के मजूमदार घर की दुर्गा पूजा (Durga Puja of Majumdar House) के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका करीब 300 साल पुराना इतिहास है. यहां बहुत साल पहले अमल मुखोपाध्याय (Amal Mukhopadhyay) नाम के एक संत ने पूजा शुरू की थी. बाद में उन्होंने ये पूजा मजूमदार परिवार को सौंप दी थी. तब से मजूमदार परिवार इस पूजा को करते चले आ रहे हैं. मजूमदार परिवार की दुर्गा पूजा में देवी मां की मूर्ति की एक खास विशेषता होती है. यहां देवी की मूर्ति दस-नुकीली नहीं, बल्कि चार-नुकीली है. उस संत ने माता को पंच मुंडी के आसन पर स्थापित किया था. उस परंपरा के अनुसार आज भी पंचमुंडी आसान पर देवी दुर्गा की पूजा की जाती है. देवी मां की प्रतिमा को पश्चिम की ओर मुख करके रखा गया है. हालांकि इसके पीछे की वजह किसी को भी मालूम नहीं है.
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यहां दुर्गा पूजा की एक अनूठी परंपरा भी है. जानकारी के अनुसार यहां अष्टमी के दिन देवी मां की प्रतिमाओं को जंजीर से बांधा (chained the statues) जाता है. ऐसा कहा जाता है कि बहुत साल पहले अष्टमी के दिन माता के संकेत पर दक्षिणी घंटी बजाई जाती थी. जैसे ही वह बजने लगती थी नगाड़े की धुन बजनी शुरू हो जाती थी. साथ ही मां का नृत्य शुरू हो जाता था. ऐसा भी कहा जाता है कि उसी नृत्य के दौरान देवी मां गिर गईं, तभी से मां जंजीरों में जकड़ी हुई हैं. आज भी उसी रीति के अनुसार मां की पूजा की जाती है. पहले यहां पूजा के साथ यज्ञ भी किया जाता था, लेकिन अब बंद कर दिया गया है.
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