Eid-Al-Adha/Bakrid 2022: क्या है बकरीद पर कुर्बानी का महत्व? जानिये इस्लाम में इसके नियम

Updated : Jul 16, 2022 11:30
|
Editorji News Desk

Bakrid 2022: ईद के बाद बकरीद मुसलमानों का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है. बकरीद का असल नाम ईद-उल-अज़हा (Eid Al Adha) है. ये रमज़ान का पाक महीना खत्म होने के 70 दिन बाद मनायी जाती है. इस्लामिक कैलेंडर (Islamic Calendar) के अनुसार, बक़रीद का त्योहार 12वें महीने की 10 तारीख को मनाते हैं. इस बार ईद-उल-अज़हा 10 जुलाई को मनायी जाएगी. 

ईद-उल-अज़हा यानि बक़रीद क्या है?

बक़रीद (Bakrid) त्याग और कुर्बानी का त्यौहार है, गरीबों का ध्यान रखने और पड़ोसियों की फिक्र करने का त्यौहार है. ये लोगों को सच्चाई की राह में अपना सब कुछ कुर्बान कर देने का संदेश देती है. 

ये ईद हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनायी जाती है. इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक अल्लाह ने उनका इम्तेहान लेने के लिए उनसे कहा था कि वो अपनी सबसे प्यारी और अज़ीज़ चीज की कुर्बानी दें. इब्राहिम के लिए सबसे प्यारे और अज़ीज़ थे उनके बेटे इस्माइल.

अल्लाह के हुक्म को मानते हुए उन्होंने इस्माइल से ये बात बताई तो वो भी तैयार हो गए. लेकिन कुर्बानी के ऐन वक्त अल्लाह ने इस्माइल की जगह दुम्बा यानि भेड़ रख दिया.

यही नहीं ये भी कहा कि तुम्हारी ये कुर्बानी तब तक लोगों के लिए प्रेरणा होगी जब तक कि दुनिया रहेगी. तब से ही हर साल ईद उल अज़हा पर जानवर की कुर्बानी देना हर हैसियतमंद मुसलमान के लिए जरूरी होता है. 

गरीबों के लिए अच्छा भोजन 

ईद उल अज़हा (Eid Al Adha) यानि बक़रीद वाले दिन सबसे पहले ईदगाहों और मस्जिदों में नमाज अदा की जाती है. इसके बाद जानवर की कुर्बानी दी जाती है. कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है. इसमें से एक हिस्सा गरीबों को जाता है, दूसरा हिस्सा पड़ोसियों और सगे संबंधियों को दिया जाता है, जबकि तीसरा हिस्सा परिवार के लिए रखा जाता है. इस त्यौहार को मनाने का मकसद है कि गरीबों को अच्छा खाना मिले. 

इस्लाम में क़ुर्बानी के नियम 

1. इस्लाम में कुर्बानी के कुछ नियम भी हैं, जिसका हर मुसलमान के लिए पालन करना जरूरी है.

2. कुर्बानी सिर्फ हलाल पैसों से ही की जा सकती है, यानि जो पैसे जायज़ तरीके से कमाए गए हों.

3. कुर्बानी बकरे, भेड़, ऊंट और भैंस की होती है.

4. कुर्बानी का जानवर बिल्कुल स्वस्थ होना चाहिए, कम उम्र यानि बच्चा नहीं होना चाहिए. जानवर बीमार या चोटिल नहीं होना चाहिए. 

क्यों कहते हैं बक़रीद? 

ईद उल अज़हा को बक़रीद सिर्फ भारत और पाकिस्तान में ही कहते हैं. दरअसल इस ईद में बकरों की कुर्बानी की वजह से धीरे धीरे लोगों ने इसे बकरे वाली ईद, बकरा ईद और बकरीद कहना शुरू कर दिया. हालांकि दुनियाभर में इसे ईद-उल-अज़हा ही कहा जाता है. कुरान में भी इसे ईद उल अज़हा ही कहा गया है. 

ये भी देखें: इस्लाम के पांच पिलर्स, जिन पर टिकी है धर्म की बुनियाद

BakridBakri EidEid al-Adha

Recommended For You

editorji | लाइफ़स्टाइल

Egg Recipe: अदिति राव हैदरी ने शेयर की अंडे की ये स्पेशल रेसिपी, ब्रेकफास्ट के लिए है परफेक्ट

editorji | लाइफ़स्टाइल

Jackfruit Day 2024: पहली बार इस आइलैंड में की गई थी कटहल उगाने की कोशिश, यहां से लिया गया फल का नाम

editorji | लाइफ़स्टाइल

गुजराती रस्म के लिए राधिका ने पहना पिंक बांधनी लहंगा, खूबसूरती देख रह आप भी हो जाएंगे कायल

editorji | लाइफ़स्टाइल

अनंत और राधिका की शादी की रस्म में ईशा और श्लोका का दिखा ट्रेडिशनल लुक, चुराई लाइमलाइट

editorji | लाइफ़स्टाइल

Ashadha Gupt Navratri 2024: जानें गुप्त नवरात्रि में किस वाहन पर सवार होकर आएंगी माता रानी