Ekdant Ganesh: बप्पा, गणपति, लंबोदर, विघ्नहर्ता, गजानन समेत कई और नाम से भगवान गणेश पुकारे जाते हैं. इसके अलावा भगवान गणेश एकदंत के नाम से भी पुकारे जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश एकदंत क्यों कहलाते हैं? उनके एकदंत कहलाने के पीछे कई दिलचस्प कहानियां है जिनका वर्णन पुराणों में है, उनमें से दो कहानियां बेहद ही प्रचलित हैं. चलिये जानते हैं.
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पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, जब महर्षि वेदव्यास महाभारत लिखने बैठे, तो उन्हें एक बुद्धिमान व्यक्ति की ज़रूरत थी जो उनके मुख से निकली महाभारत की कहानी को समझ कर लिख सके. इस कार्य के लिए उन्होंने गणेश को चुना. गणेश मान तो गए लेकिन उन्होंने एक शर्त रख दी कि महाभारत लिखते समय मेरी कलम रुकनी नहीं चाहिए. अगर मेरी कलम रुकी तो मैं आगे लिखना बंद कर दूंगा. व्यास जी ने शर्त मान ली, लेकिन एक शर्त उन्होंने भी रख दी कि आप मुझसे पूछे बिना एक शब्द भी नहीं लिखेंगे. दोनों महाभारत के महाकाव्य को लिखने के लिए बैठ गए. वेदव्यास जी महाकाव्य अपने मुख से बोलने लगे और गणेश जी उसे समझ-समझ कर शीघ्रता से लिखने लगे. गणेश जी की कलम महर्षि के बोलने की तेजी को संभाल ना सकी और कुछ देर लिखने के बाद अचानक से टूट गई. गणेश जी को अपनी गलती का एहसास हो चुका था. उन्होंने धीरे से अपने एक दांत को तोड़ा और स्याही में डूबा कर दोबारा महाभारत के महाकाव्य को लिखना शुरू कर दिया; जिसके बाद से उनका नाम एकदंत पड़ गया.
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गणेश से जुड़ी एक और मान्यताओं के अनुसार, भगवान शंकर और माता पार्वती अपने कक्ष में विश्राम कर रहे थे. उन्होंने गणेश को कहा कि किसी को भी ना आने दें. तभी भगवान शिव से मिलने के लिए परशुराम जी आए. लेकिन गणेश जी तो थे आदेश का पालन करने वाले. वो परशुराम को विनम्रता से टालते रहे. जब परशुरामजी का धैर्य टूट गया तो उन्होंने गजानन को युद्ध के लिए ललकारा और युद्ध में परशुराम ने अपने फरसे से गणेश जी का एक दांत तोड़ दिया. हालांकि, इसके लिए बाद में उन्होंने माता पार्वती से माफी भी मांगी. जिसके बाद से ही भगवान गणेश एकदंत कहलाए
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