Guru Purnima 2023:
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय
बलिहारी गुरू आपने गोविन्द दियो बताय
‘गुरु’ को समर्पित संत कबीर (Kabir Das) का ये एक दोहा आपने कहीं ना कहीं ज़रूर सुना होगा. जिसका मतलब है जब गुरु और गोविन्द (ईश्वर) एक साथ खड़े हों तब पहले किन्हें प्रणाम करना चाहिए. ऐसी स्थिति में गुरू के चरणों में शीश झुकाना चाहिए, जिनकी कृपा से गोविन्द के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.
हिन्दू धर्म (Hinduism) में गुरु को भगवान का दर्जा दिया गया है. गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के दिन गुरुओं को नमन किया जाता है और उनके गुरुओं द्वारा दिए गए ज्ञान के प्रति आभार व्यक्त कये जाने का महत्व है.
हिन्दी पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. इस साल गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई को मनाई जा रही है.
इस साल गुरु पूर्णिमा की शुरूआत 2 जुलाई, 2023 को रात 08 बजकर 21 मिनट पर शुरू हो रही है. वहीं इसके समाप्त होने का समय 3 जुलाई, 2023 को शाम 05 बजकर 08 मिनट है.
गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा को वेद व्यास जी का जन्म हुआ था
महर्षि वेद व्यास जी ने महाभारत की रचना की. सभी 18 पुराणों के रचयिता भी महर्षि वेद व्यास को माना जाता है.
कहा जाता है कि लगभग 15000 साल से भी पहले आज ही के दिन भगवान शिव ने गुरु पूर्णिमा के दिन सप्तऋषियों को पहला शिष्य बनाया और उन्हें योगिक विज्ञान की शिक्षा दी.
मान्यता है कि करीब 2600 साल पहले तथागत बुद्ध ने आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन सारनाथ में पांच भिक्षुओं को धर्म का पहला उपदेश दिया था.
गुरु पूर्णिमा के पर्व पर लोग भगवान को याद करते हैं और अपने गुरुओं का आशीर्वाद लेते हैं. इस दिन लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, मंदिर जाते हैं और व्रत करते हैं. साथ ही इस दिन ज़रूरतमंदों को दान करने का भी विशेष महत्त्व है.
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