बरसाने की लट्ठमार होली सबसे खास होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कैसे शुरु हुई होली की यह परंपरा. होली का यह तरीका श्री कृष्ण की मोहित करने वाली लीलाओं में से एक है. चलिए जानते हैं कैसे शुरू हुई लट्ठमार होली खेलने की पंरपरा.
कहा जाता है कि कृष्ण भगवान राधा की जन्म भूमि बरसाना में होली खेलने जाते थे, जहां वह खूब मस्ती किया करते थे और अपनी हरकतों से राधा और गोपियों को सताते थे. कृष्ण को सबक सिखाने के लिए राधा और गोपियां उन्हें डंडे से मारती थीं. इस मार से बचने के लिए कृष्ण ढालो का उपयोग करते थे और यहीं से शुरु हुई लट्ठमार होली की परंपरा.
लट्ठमार होली बरसाना और नंदगांव के लोगों के बीच खेलने का रिवाज है. इस होली को देखने दुनियाभर से लोग आते हैं. इस साल 18 मार्च को बरसाने में लट्ठमार होली का उत्सव मनाया जाएगा.
ब्रज में होली बंसंत पंचमी के दिन से मनाई जाती है. इस दिन से ही ठाकुर जी को रंग लगाया जाता है. ब्रज में होली का यह त्योहार 40 दिन तक मनाया जाता है.
होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता है. इस साल होली का त्योहार 25 मार्च को मनाया जाएगा.
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