कालाष्टमी का हिंदू धर्म में गहरा आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व है. यह तिथि भगवान काल भैरव की पूजा के लिए समर्पित है, जो भगवान शिव के एक उग्र और शक्तिशाली रूप माने जाते हैं. भगवान काल भैरव को संहार और सुरक्षा का देवता माना जाता है. कहा जाता है कि उनकी पूजा से भक्तों को जीवन में आने वाली सभी बाधाओं, नकारात्मक ऊर्जा, और बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है.
पंचांग के अनुसार कालाष्टमी आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 28 जून को शाम 04 बजकर 27 मिनट से शुरु होकर 29 जून को दोपहर 02 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में 28 जून को कलाष्टमी का व्रत रखा जाएगा.
इस दिन काल भैरव की पूजा निशा काल में करनी चाहिए. ऐसा माना जाता है कि कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से भक्तों को रोग, भय, और शत्रुओं से छुटकारा मिलता है.
कालाष्टमी के दिन मंदिरों में पूजा-अर्चना और धार्मिक कार्यक्रम होते हैं. इस दिन भक्त रात भर जागकर भगवान काल भैरव की आराधना करते हैं और कीर्तन, भजन, और मंत्रों का जाप करते हैं.
कालाष्टमी से जुड़ी पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान काल भैरव ने कई असुरों और दुष्ट शक्तियों का नाश किया था. माना जाता है कि उनकी पूजा से भक्तों को उनके साहस और शक्ति का आशीर्वाद मिलता है.
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