Navratri 2023: हिंदु धर्म में नवरात्रि के पावन दिनों का काफी महत्व होता है. मां शक्ति के भक्त नवरात्रि में अपने घर पर मंगल घटस्थापना करते हैं, अखंड ज्योति जलाते हैं, नौ दिनों का उपवास रखते हैं. इन दिनों में देवी के नौ स्वरूपों की पूजा होती है. दुर्गा भक्त माता के हर स्वरूप को प्रसन्न करने के लिए मंत्र उच्चारण और पाठ करते है. आइये बताते हैं माता के नौ स्वरूपों के बारे में
शैलपुत्री: नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपत्री की पूजा होती है. हिमालय की पुत्री होने के चलते ही इनका नाम शैलपुत्री पड़ा
ब्रह्मचारिणी: दूसरे दिन माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा होती है. भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता ने सालो तक कड़ी तपस्या की थी जिसके कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी नाम मिला
चंद्रघंटा: तीसरे दिन चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. माता के मस्तक पर आधा चंद्रमा के आकार का तिलक के कारण उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है
कुष्मांडा: देवी में पूरे ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति है, इसलिए उन्हें माता कुष्मांडा के नाम से भी जाना जाता है
स्कंदमाता: स्कंद यानि की कार्तिकेय जी की माता होने की वजह से ही देवी के इस स्वरूप का नाम स्कंदमाता है
कात्यायनी: महिषासुर का वध करने के लिए प्रकट हुई देवी की पूजा सबसे पहले महर्षि कात्यायन ने की थी. जिसकी वजह से उनका नाम कात्यायनी पड़ा
कालरात्रि: माता का सांतवा स्परूप कालरात्रि कहलाता है. ये माता काल यानि संकट को नाश करने वाली है.
महागौरी: महाअष्टमी के दिन माता के आठवें रूप महागौरी की पूजा होती है. उन्हें ये नाम अपने गोरे रंग के कारण मिला है.
सिद्धिदात्री: नौवें दिन माता सिद्धिदात्रीकी पूजा होती है. माता सिद्धिदात्री को सभी तरह की सिद्धियां देने वाली कहा गया है.