New Year of India: यूं तो पूरी दुनिया 1 जनवरी को नए साल की शुरूआत करती है. लेकिन भारत में नए साल की शुरूआत तब होती है जब फसल पककर तैयार हो जाती है. हमारे देश के पूर्वी, उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में नए साल की शुरूआत फसल पकने के बाद हो जाती है. हर साल ये त्योहार 13 या 20 अप्रैल के बीच मनाए जाते हैं. आइये जानते हैं इन त्योहारों से जुड़ी कुछ ख़ास बातें...
फसल पकने के प्रतीक के रूप में बैसाखी का त्योहार पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में मनाया जाता है. इस दिन सिखों के दसवें और आखिरी गुरु गोविंद सिंह ने 1699 को खालसा पंथ की स्थापना की थी, इसलिए इसी दिन से नए साल की शुरुआत भी की जाती है.
असम और मणिपुर में बिहू का त्योहार धूम-धाम से मनाया जाता है. साल में 3 बार बिहू का त्योहार मनाया जाता है. जनवरी में भोगली या माघ बिहू, अप्रैल में बोहाग या रोंगाली बिहू, और अक्टूबर में कोंगाली बिहू मनाया जाता है. इस दिन पारंपरिक गीत गाये जाते हैं और बिहू डांस किया जाता है.
विशु का त्योहरा केरल में मनाया जाता है. इस दिन भक्त सबरीमाला अय्यप्पन और गुरुवायुर मंदिरों में ब्रह्म मुहूर्त के दौरान सुबह करीब साढ़े तीन बजे 'विशुक्कणी' यानि झांकी देखने जाते हैं. केरल में लोग विशु के त्योहार पर लोग घरों में रौशनी करते हैं, इस दिन दिये जलाए जाते हैं और पटाखें फोड़े जाते हैं.
पोएला बोइशाख (Poila Boishakh)
पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के कुछ हिस्सों में पोएला बोइशाख मनाते हैं. बंगाली कैलेंडर के अनुसार साल के पहले महीने यानि बोइशाख के पहले दिन को ये त्योहार मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने घर में चावल और पानी के पेस्ट से रंगोली बनाते हैं जिसे अलपोना कहा जाता है. इस दिन लोग नए कपड़े पहनकर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन करते हैं.
तमिल कैलेंडर के अनुसार पहले महीने चिथिराई के पहले दिन पुथांडु मनाया जाता है. इस शुभ दिन से एक रात पहले, फल, सोने-चांदी के आभूषण, पैसों और फूलों से भरी एक थाली को प्रार्थना कक्ष में रखा जाता है जिसे भगवान पहली चीज़ के रूप में देख सकें और सबके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे.
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