Pitru Paksha in Dwarka: पितरों की आत्मा की शांति के लिए शास्त्रों में श्राद्ध (Shraddh) का बहुत महत्व माना गया है. इस साल 29 सितंबर से 14 अक्टूबर तक पितृपक्ष है. पितृपक्ष को श्राद्ध भी कहते है.
धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पिंडदान सीधे पितरों तक पहुंचता है. इन दिनों में लोग अपने पितरों को याद कर उनके नाम पर उनका पिंडदान कर्म (Pind Daan), तर्पण (Tarpan) और दान करते हैं.
वैसे तो पिंडदान देश के कई स्थानों पर किया जाता है, लेकिन बिहार के गया में पिंडदान का एक अलग ही महत्व है. यहां विष्णुपद, फल्गु नदी और अक्षयवट पर पिंडदान और तर्पण का विशेष महत्व है.
इसके अलावा, कृष्ण नगरी के नाम से मशहूर गुजरात के द्वारका में पिंड दान का भी काफी महत्व है. द्वारका में गोमती नदी और अरब सागर के किनारे पिंड दान करने हर रोज हजारों लोग पहुंचते हैं. कहा जाता है कि द्वारका में पिंड दान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति मिलती है
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