Ramadan 2024: इस्लाम धर्म (Islam) में रमज़ान (Ramzan) के महीने का खास महत्व होता है. इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह की इबादत करते हैं और रोज़ा (Roza) रखते हैं. रोज़े के दौरान सूरज निकलने से पहले सहरी के समय और सूर्यास्त के बाद इफ्तार के समय ही खाया पीया जाता है. बाकि पूरे दिन कुछ भी खाने-पीने की मनाही होती है.
सूर्यास्त के बाद इफ्तार के समय सबसे पहले खजूर खाया जाता है और रोज़ा खोला जाता है और इसके बाद ही बाकी खाने पीने की चीज़े खाई जाती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रोज़ा खोलने के लिए सबसे पहले खजूर ही क्यों खाते हैं? आइये जानते हैं...
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार खजूर खाकर रोजा खोलने को सुन्नत माना गया है. माना जाता है कि हजरत मोहम्मद को खजूर काफी पंसद थे और वह भी खजूर खाकर ही रोजा खोलते थे. इस्लाम में पैगंबर हजरत मोहम्मद के रास्ते पर चलने को सुन्नत कहा गया है. इसलिए रोजा खोलने के लिए खजूर खाया जाता है. खजूर खाने के बाद ही बाकि चीजों का सेवन किया जाता है.
खजूर में नेचुरल शुगर्स जैसे कि ग्लूकोस, फ्रुक्टोसे और सुक्रोस पाए जाते हैं जो शरीर को तुरंत एनर्जी देने का काम करते हैं. इसलिए खजूर खाने से आपको इंस्टेंट एनर्जी मिलती है और थकान का एहसास कम होता है.
खजूर में फाइबर विटामिन्स और मिनरल्स जैसे कि विटामिन ए, बी, सी, पोटैशियम, मैग्नीशियम कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस और जिंक पाया जाता है. यह पोषक तत्त्व शरीर को जरूरी पोषण देते हैं.
खजूर में मौजूद फाइबर पेट को अच्छी तरह से साफ़-सुथरा रखता है और पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है. यह कब्ज़ को कम करता है और पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है.
खजूर में मौजूद पोटैशियम दिल की धड़कन को बेलेंस करके रखता है और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है. इससे दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है और दिल की सेहत को सुधारने में मदद मिलती है.
खजूर में मौजूद आयरन शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता है जो ब्लड की कमी को दूर करता है और एनीमिया जैसी समस्याओ से बचाता है.
खजूर में कैल्शियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हड्डियों और दांतो को मजबूत बनाता है. इससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसे बीमारियों से बचाव होता है और हड्डियों की मजबूती बढ़ती है.
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