हर महीने की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है. 21 अप्रैल को प्रदोष व्रत रखा जाएगा. यह व्रत रविवार के दिन है, इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है.
प्रदोष व्रत रखने से जीवन में खुशहालि बनी रहती है. साथ ही, प्रदोष व्रत का संबंध सूर्यदेव से है. अगर आपकी कुंडली में सूर्य कमजोर है, तो इस व्रत को रखने से फायदा होगा. माना जाता है कि इस व्रत को रखने से यश और धन की प्राप्ति होती है.
प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ की पूजा करने का विधान है. इस बात का ध्यान रखें कि भगवान शिव की पूजा सूरज उगने से लगभग 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 बाद तक की जाती है. माना जाता है कि इस समय में की गई पूजा से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है.
इस दिन सुबह नहाने के बाद शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं. इसके बाद मंत्रों का उच्चारण करें. वहीं, जौ के आटे को भगवान की मूर्ति पर स्पर्श कराएं. बाद में इस आटे से रोटी बनाएं.
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