Iftar in UNESCO's List: गरबा के बाद अब इफ्तार को यूनेस्को की तरफ से सम्मान दिया गया है. यूनेस्को ने इफ्तार को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिया है. इससे पहले गरबा को यूनेस्को ने 'मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' ( Intangible Cultural Heritage of Humanity) की लिस्ट में शामिल किया था.
रमजान के पाक महीने में दिन भर के रोज़े के बाद जब कुछ खा कर अपना रोजा खोला जाता है इसे इफ्तार कहते हैं. इफ्तार के दौरान सभी दोस्त-परिवार के लोग एक साथ बैठ अपना रोजा खोलते हैं. इसका मकसद पारिवारिक और सामुदायिक स्तर पर संबंधों को मजबूत करना और समाज में भाईचारे को बढ़ावा देना होता है
इफ्तार को यूनेस्को का दर्जा मिले इसके लिए ईरान, तुर्की, अज़रबैजान और उज़्बेकिस्तान की ओर से संयुक्त राष्ट्र में अर्जी लगाई गई थी. बोत्सवाना में हुई यूनेस्को की मीटिंग में ये फैसला लिया गया
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