हिंदू धर्म में मंगलसूत्र, लाल-हरी चूड़ी, सिंदूर और बिछिया को शादीशुदा होन का प्रतीक माना जाता है. हर एक गहने को पहनने के पीछे कोई न कोई कारण होता है. इसी तरह, हिंदू धर्म में ज्यादातर शादीशुदा महिलाएं अपने पैरों में चांदी की बिछिया पहनती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिछिया पहनने के पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी जुड़े हुए हैं.चलिए जानते हैं बिछिया पहनने का महत्व. साथ ही, क्यों पैरों में सोने की बिछिया नहीं पहनते हैं.
बिछिया का संबंध मां साती से है. कहा जाता है कि जब रावण ने मां सीता का अपहरण किया था, तब माता सीता ने अपनी पहचान के लिए बिछिया फेंकी थी.
सोलह श्रृंगार में मंगलसूत्र, चूड़ी, बिंदिया के साथ-साथ बिछिया भी शामिल है. इसलिए भी हिंदू धर्म में शादीशुदा महिलाएं पैरों में बिछिया पहनती हैं.
इसके अलावा, पैरों में चांदी की बिछिया पहनी जाती है. सिल्वर को गुड कंडक्टर माना जाता है. ऐसे में इसे पैर में पहनने से नेगेटिव एनर्जी दूर होती है. यही नहीं, बिछिया पहनने से एक्यूप्रेशर बेनिफिट्स भी मिलते हैं.
क्या आपने कभी किसी महिला को पैरों में सोने की बिछिया पहने देखा है? ज्योतिष के अनुसार पैरों में सोने की बिछिया पहनना अशुभ माना जाता है, क्योंकि सोने की धातु को भगवान विष्णु की धातु मानी जाती है. ऐसे में पैरों मे सोने की बिछिया पहनने से विष्णु भगवान नाराज हो सकते हैं. यही नहीं, बल्कि आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
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