Holika Dahan: रंगो के त्योहार होली को देशभर में धूम धाम से मनाया जाता है. वहीं होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार होलिका दहन से जुड़ी जो कथा हम सब जानते हैं वो ये है कि हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने भाई के साथ मिलकर विष्णु भक्त प्रहलाद को मारने की कोशिश की थी और वह उन्हें लेकर आग्नि पर बैठ गई थीं, लेकिन प्रहलाद के बदले होलिका ही आग में जलकर मर गई. इसी वजह से होलिका को राक्षसी माना जाने लगा और हर साल होलिका दहन किया जाने लगा.
वहीं आपने ये भी देखा होगा कि होलिका दहन करने से पहले होलिका की पूजा भी की जाती है. अब आपके मन में भी ये सवाल आता होगा कि जब होलिका राक्षसी थी तो उसकी पूजा क्यों की जाती है. चलिए जानते हैं.
दरअसल, धार्मिक मान्यता अनुसार होलिका एक देवी थीं लेकिन उन्हें ऋषि ने श्राप दे दिया था जिसकी वजह से वह राक्षसी बन गई. लेकिन जब होलिका अपने भतीजे प्रहलाद के साथ आग में बैठी तो उसकी मृत्यु हो गईं और कहा जाता है कि आग में जलने की वजह से वह शुद्ध भी हो गई. यही वजह है कि होलिका के राक्षसी होने के बाद भी होलिका दहन के दिन उन्हें एक देवी के रूप में पूजा जाता है.
इसके अलावा ये भी मान्यता है कि होलिका दहन के समय आग में एक मुट्ठी चावल डालने से होलिका देवी की कृपा बनी रहती है और कोई भी आपको हानि नहीं पहुंच पाता है. इसके अलावा इस दिन अग्नि के चक्कर लगाने की भी परंपरा है. माना जाता है कि ऐसा करने से कष्ट मिट जाते हैं.
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