आपने प्यार की मिसाल दी जाने वाली, एक से बढ़कर एक कई कहानियां सुनीं होंगी - लैला-मजनूं, हीर-रांझा, रोमियो-जूलिएट. लेकिन क्या आपने प्यार का दिन कहलाए जाने वाले वेलेंटाइन डे की प्यार भरी कहानी सुनी है. आइए आपको ले चलते हैं उस दौर में जब सबको प्यार से डर लगता था. प्यार करना अपराध था.
एक किताब है - 'ऑरिया ऑफ जैकोबस डी वॉराजिन' जिसमें रोम के एक पादरी संत वेलेंटाइन का ज़िक्र है. संत वेलेंटाइन के लिए प्यार ही जीवन था. लेकिन उनके शहर के राजा क्लॉडियस इसके सख्त खिलाफ थे. उन्हें लगता था कि प्यार और शादी से पुरुषों की बुद्धि और शक्ति खत्म हो जाती है. उनके राज्य में सैनिक और अधिकारियों को शादी की इज़ाजत न थी.
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संत वेलेंटाइन ने इसके खिलाफ मोर्चा शुरू कर दिया और लोगों को प्यार और शादी का मूल मंत्र समझाया. संत वेलेंटाइन ने अधिकारियों और सैनिकों की शादी भी करवाई. राजा को इस बात से इतना गुस्सा आया कि उन्होंने 14 फरवरी 269 को संत वेलेंटाइन को फांसी पर लटका दिया. संत वेलेंटाइन की शहादत के दिन को तभी से वेलेंटाइन डे कहा जाने लगा.
मरने से पहले उन्होंने अपनी आंखें जेलर की नेत्रहीन बेटी जैकोबस को दान की थीं. वेलेंटाइन ने उन्हें एक लैटर भेजा जिसके अंत में लिखा था 'तुम्हारा वेलेंटाइन.' कहते हैं कि लोग चले जाते हैं लेकिन उनकी कहानियां अमर रहती हैं. बस यही थी वेलेंटाइन की कहानी.