चीन(China) और ताइवान (Taiwan) जंग के मुहाने पर खड़े हैं. दोनों देशों के बीच एक बार फिर से तनाव बढ़ गया है और इस बार भी तनाव अमेरिका (USA) की वजह से ही बढ़ा है, दरअसल हाल ही में हुई अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) की ताइवान यात्रा के बाद अब अमेरिकी सांसदों का प्रतिनिधिमंडल ताइवान पहुंचा है और उन्होंने ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन (Tsai Ing-wen) से मुलाकात की है. जिससे चीन आक्रोशित हो उठा है और उसने ताइवान के आसपास अपनी मिलिट्री ड्रिल (military drills) को और ज्यादा बढ़ा दिया है.
जंग के मुहाने पर खड़े दोनों देश
ताइवान ने चीन के आक्रामक रुख पर बताया कि 15 अगस्त को चीन के 30 एयरक्राफ्ट और 5 पोतों ने ताइवान के पास मिलिट्री ड्रिल की. ताइवान ने ये भी दावा किया कि चीन के 15 एयरक्राफ्ट ताइवान जलसंधि (Taiwan Strait)की मीडियम लाइन को क्रोस कर गए थे.
इसे भी पढ़े: Imran Khan Praise India Again: भारत की विदेश नीति के मुरीद हुए इमरान खान, रैली में चला दिया वीडियो
चीन की अमेरिका को चेतावनी
गौरतलब है कि चीन ने नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा था कि आगे से कोई अमेरिकी प्रतिनिधि ताइवान की यात्रा पर नहीं आना चाहिए, लेकिन अमेरिका ने सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को भेजकर फिर से चीन को साफ कर दिया है कि वो जहां जाना चाहेगा, वहां जाएगा.
चीन-ताइवान में विवाद क्यों है ?
चीन-ताइवान की जंग काफी पुरानी है. 1949 में यहां कि कम्यूनिस्ट पार्टी (communist party) ने नेशनलिस्टों को खदेड़कर सिविल वॉर जीत लिया था. तब नेशनलिस्ट लोगों ने ताइवान को असली चीन बताते हुए उसको रिपब्लिक ऑफ चाइना घोषित कर दिया. वहीं, कम्युनिस्टों ने ताइवान को अपना हिस्सा बताते हुए चीन को पिपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (People's Republic of China) घोषित कर दिया. हालांकि 1971 में संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने ताइवान की जगह चीन को मान्यता दी. तब से चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता है, जबकि ताइवान खुद को अलग मुल्क बताता रहा है.