Christopher Columbus Discovery: भारत की खोज करते-करते कोलंबस ने कैसे ढूंढा अमेरिका? | Jharokha 3 August

Updated : Dec 31, 2022 20:52
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Editorji News Desk

क्रिस्टोफर कोलंबस  (Christopher Columbus) एक समुद्री-नाविक था. अमेरिका पहुंचने वाला वह प्रथम यूरोपीय नहीं था लेकिन कोलंबस ने यूरोपवासियों और अमेरिका के मूल निवासियों के बीच बड़े सम्पर्क को बढ़ावा दिया. कोलंबस ने अमेरिका की चार बार यात्रा की और इसका खर्च स्पेन की रानी इसाबेला (Isabella) ने उठाया. उसने हिस्पानिओला (Hispaniola) द्वीप पर बस्ती बसाने की कोशिश की और इस तरह अमेरिका में स्पेनी उपनिवेशवाद की नींव रखी. इस प्रकार इस नयी दुनिया में यूरोपीय उपनिवेशवाद की शुरुआत हुई. आज इस लेख में हम कोलंबस की यात्रा के बारे में जानेंगे.

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कोलंबस पर हुआ पाइथागोरस की किताब का असर

ये बात करीब 500 साल पुरानी है. महानतम नेविगेटर क्रिस्टोफर कोलंबस (Christopher Columbus) ने अपने बचपन में मशहूर गणितज्ञ पाइथागोरस (Mathematician Pythagoras) की किताब पढ़ी थी. जिसमें ये बताया गया था कि दुनिया गोल है. इसे पढ़कर किशोर कोलंबस के दिमाग में आया यदि समुद्र में पश्चिम से पूरब की ओर से चलेंगे तो वे भारत पहुंच जाएंगे. भारत की खोज इसलिए क्योंकि तब भारत की रईसी और इसके मसालों की चर्चा पूरे यूरोप में थी. 

कोलंबस चाहता था कि समंदर के रास्ते भारत से कारोबार हो

कोलंबस चाहता था कि समुद्री रास्ते से भारत से कारोबार हो सके. लेकिन मुश्किल ये थी कि तब तक किसी को पता नहीं था कि समुद्र में भारत कितनी दूर है और किस दिशा में सफर करने पर वहां तक पहुंचा जा सकेगा. तब के कारोबारियों में भारत के लिए समुद्र का रास्ता इसलिए भी खोजने की ललक थी क्योंकि साल 1453 तक इराक और अफगानिस्तान पर तुर्कांनी साम्राज्य (Ottoman Empire) का कब्जा हो गया था और उसने यूरोपीय कारोबारियों (European Businessman) के लिए जमीनी रास्ते बंद कर दिए थे. 3 अगस्त 1492 में कोलबंस भारत के लिए समुद्री रास्ते की खोज में निकला था...

यूरोप, अरब देशों से खरीदता था मसाले और चाय

शुरुआत में एक Trivia... करीब 500 साल पहले  यूरोपीय देश अरब जगत के माध्‍यम से मसाले और चाय की खरीद करते थे. अरब जगत को ये सब भारत से हासिल होता था लेकिन उसने कभी यूरोपीय देशों को ये राज उजागर नहीं होने दिया कि उन्‍हें ये माल कहां से मिलता है? वहीं यूरोपीय देश लगातार उस देश के बारे में जानना चाहते थे जहां से ये सारा कुछ आता है. उन्हें भारत के बारे में पता भी चला लेकिन अरब जगत ने उन्हें जमीनी रास्ता देने से मना कर दिया. जाहिर है अब आप यूरोपीय देशों के भारत तक आने की कसमसाहट समझ सकते हैं. 

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1451 में हुआ क्रिस्‍टोफर कोलंबस का जन्म

ऐसे माहौल में साल 1451 में जिनेवा में एक जुलाहे के घर जन्मे क्रिस्‍टोफर कोलंबस ने भारत का समुद्री रास्ता खोजने की ठानी पर किशोर कोलंबस के इस मकसद के रास्ते में हर कदम पर रुकावटें ही आ रही थी. पहले तो यूरोप के विद्वानों ने उसे बताया कि धरती टेबल की तरह चपटी है और वो पश्चिम से पूरब की ओर जाएगा तो अनंत गहराई में समा जाएगा. लेकिन कोलबंस को पाइथागोरस पर पूरा भरोसा था जिसने बताया था कि दुनिया गोल है. जिसके बाद अदम्य साहसी और महत्त्वाकांक्षी कोलंबस सत्रह साल तक जी-तोड़ कोशिश करते रहे ताकि कोई उनके अभियान के लिए पैसे दे दे लेकिन ऐसा संभव न हो सका. 

फेलिपा से की थी कोलंबस ने शादी

इसी बीच साल 1474 में कोलंबस को एक मेडिटेरियन शिप (Mediterranean Ship) जो ग्रीस के पूर्व में स्थित एक द्वीप चिओस (Island Chios) जा रहा था पर साधारण जहाजी की नौकरी मिल गई. 1476 में जब उसका जहाज इंग्लैंड की ओर जा रहा था तब पुर्तगाल के पास फ्रेंच समुद्री लुटेरों (French Pirates) ने जहाज पर हमला किया और उसमें आग लगा दी तब कोलंबस किसी तरह से अपनी जान बचाकर तैरते हुए पुर्तगाल के बंदरगाह केपसेंट पहुँच गया.

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यहीं पर उसकी शादी फेलिपा (Christopher Columbus Married to Filipa) से हुई. फेलिपा अमीर एवं अभिजात्य वर्ग से थी. उसने कोलंबस की मुलाकात पुर्तगाल के राजा जॉन द्वितीय (Portugal King john II) से कराई. लेकिन कोलंबस की योजना को पुर्तगाल के विद्वानों ने असंभव करार देते हुए उसे सपनो में रहने की संज्ञा दे दी. निराश होकर कोलंबस स्पेन चला गया. यहां उसने स्पेन की महारानी को बताया कि वो भारत के लिए समुद्री रास्ते को खोजना चाहता है. कोलबंस से इससे होने वाले अनगिनत फायदे भी बताए. महारानी को उनकी योजना पसंद आई. 

फिर आई तीन अगस्त 1492 की तारीख. स्पेन के पालोस बंदरगाह पर राजा-रानी समेत हजारों लोग जुटे और कोलबंस को भारत की खोज के लिए गाजे-बाजे के साथ हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. सभी को ये लग रहा था कि यदि कोलंबस कामयाब हो जाता तो आने वाले सालों में पूरे स्पेन की किस्मत बदल सकती थी. उस दिन वहां से कोलबंस के साथ तीन जहाज निकले थे. जिनका नाम था- सांता मारिया, नीनी और पेंटा (Santa Maria, Nina and Pinta). 

70 दिन बाद कोलंबस को मिली जमीन

ये यात्रा काफी लंबी साबित हुई...बीच में कोलबंस के साथी बगावत पर भी उतारू हो गए लेकिन वो उन्हें समझाने में किसी तरह कामयाब रहा. आखिरकार लम्बी यात्रा के बाद 10 अक्टूबर को यात्रा के सत्तर दिन पूरे हो गये तब उन्हें एक चिड़िया उड़ती नज़र आई. उन्हें लगा की वे गल्फ की खाड़ी में आ पहुंचे हैं. 11 अक्टूबर को कोलंबस ने घोषणा की, कि दूर उन्हें रोशनी टिमटिमाते दिखी है उन्होने रोशनी का पीछा किया. 12 अक्टूबर की रात दो बजे जहाजी चिल्लाने लगे, जमीन-जमीन जहाज पर उत्सव का माहौल बन गया था. 

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कोलंबस ने रखे दक्षिण अमेरिका में पैर

जहाज रुकने के बाद कोलंबस उस धरती पर सबसे पहले उतरा. कोलबंस ने घोषणा की कि आखिर मैंने सिद्ध कर दिया कि पश्चिम से यात्रा करके पूरब तक पहुँचा जा सकता है. कोलंबस को लगा कि वह इंडिया पहुंच चुका है. वहां के स्थानीय लोगों ने उसका स्वागत किया और उपहार में सोने-चांदी दिया. चूंकि कोलंबस इंडिया की खोज में निकला था, तो उसने वहां के निवासियों को इंडियन कहा.

यही वजह है कि आज भी दक्षिण अमेरिका (South America) के मूल निवासी को रेड इंडियन (Red Indian) कहा जाता है. बहरहाल कोलंबस वहां से भारी धन-संपदा लेकर स्पेन वापस लौटा. 15 मार्च 1493 को जब वो स्पेन लौटा तो वहां के राजा-रानी ने खुद उसका स्वागत किया. स्पेन के राजा ने कोलंबस को उसके द्वारा ढूंढे गए प्रदेशों का गवर्नर बना दिया. इसके बाद कोलंबस ने तीन बार अमेरिकी द्वीपों की यात्रा की जहां से हर बार वो बेशुमार दौलत लेकर लौटता था. 

20 मई 1506 को हुई कोलंबस की मौत

20 मई 1506 को एक लंबी बीमारी की वजह से कोलंबस की स्पेन में ही मौत हुई. लेकिन दिलचस्प ये है कि उसे अपनी मौत तक भी इस बात का पता नहीं चला कि उसने जिन क्षेत्रों की खोज की है वो भारत नहीं बल्कि एक नई दुनिया है.

दरअसल, कोलंबस इसी वजह से इतिहास में अमर हैं. ये कहना गलत नहीं होगा कि कोलंबस द्वारा अमेरिका की खोज का दुनिया पर व्यापक असर पड़ा. पश्चिमी दुनिया, जो पन्द्रहवीं सदी का तक सबके लिये अनजानी थी अचानक कोलंबस की मेहनत की वज़ह से कामयाब हो गई.

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आज जो दुनिया दिख रही है उसमें कोलंबस का अहम योगदान है. यूरोप में भले ही किसी जमाने में उसकी छवि को दागदार माना गया हो. फिर भी कोलंबस वो महानायक है जिसने विश्व के मानचित्र में ऐसे द्वीपों और देशों का परिचय करवाया जिससे दुनिया अंजान थी. आज भी पूरे अमेरिका में लोग अक्टूबर के दूसरे सप्ताह के सोमवार को कोलंबस दिवस मनाते हैं. इस दिन अमेरिकी सरकार ने सार्वजनिक अवकाश भी घोषित कर रखा है.

3 अगस्त को कौन-कौन सी अहम घटनाएं हुईं हैं

1886 : हिंदी के विद्वान मैथिली शरण गुप्त (Maithili Sharan Gupt) का जन्म
1914 : पहला समुद्री जहाज पनामा नहर (Panama Canal) से गुजरा.
1985 : बाबा आम्टे (Baba Amte) को जनसेवा के लिए रेमन मैगसेसे पुरस्कार (Ramon Magsaysay Award) प्रदान किया गया.
2004 : अमेरिकी अंतरिक्ष यान मैसेंजर (MESSENGER Spacecraft) बुध ग्रह के लिए रवाना.

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