Emergency Number History: दुनिया ने आज ही देखा था पहला इमर्जेंसी नंबर-999, जानें कैसे हुई थी शुरुआत

Updated : Jul 14, 2022 19:43
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Mukesh Kumar Tiwari

Emergency Number History : दुनिया में पहले इमर्जेंसी नंबर की शुरुआत कैसे हुई? क्या आपने ये कभी सोचा है! आखिर वो क्या वजह थी जिसने पहले इमर्जेंसी नंबर को बनाने की बात छेड़ी? आइए आज हम जानते हैं कि दुनिया में पहला इमर्जेंसी नंबर कैसे शुरू हुआ? ( how emergency number started in world ) इस लेख में जानते हैं पहले इमर्जेंसी नंबर का इतिहास ( history of first emergency number in the world ) और साथ ही ये भी कि आखिर 999 को ही पहले इमर्जेंसी नंबर के तौर पर क्यों चुना गया ( why 999 chosen emergency number in world ) था?

1935 में, लंदन के एक घर में लगी आग की वजह से 5 महिलाओं की मौत हो गई... पड़ोसी ने फायर डिपार्टमेंट को फोन मिलाने की कोशिश की लेकिन उसे होल्ड पर डाल दिया गया.. The Times में इसके बाद गुस्से से भरा पत्र प्रकाशित किया गया. इसका असर ये हुआ कि दुनिया ने 30 जून 1937 में पहला इमर्जेंसी नंबर ( World's First Emergency Number ) देखा... ये इमर्जेंसी नंबर था 999... 999 नंबर को ही इसलिए चुना गया था क्योंकि तब के फोन में इसे डायल करने में आसानी होती थी... 30 जून 1937 को 999 नंबर की शुरुआत की गई थी. 1948 तक पूरे देश को इससे जोड़ दिया गया था. इसके दो साल बाद 999 नंबर पर हर साल 80 हजार फोन कॉल आने लगे थे...

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75 साल बाद लंदन में इसी नंबर पर हर साल लगभग 6 लाख कॉल (5,97,000) आने लगीं. अब 999 नंबर को चुनने की वजह कहीं गुम हो गई थी... दुनिया भर में ऐक्सिडेंट डायल कॉमन हो चुके थे... हालांकि, अब इमर्जेंसी नंबर का कॉन्सेप्ट दुनिया भर में कॉमन हो चुका था... 1960 के दशक के आखिर में अमेरिका ने 911 को इमर्जेंसी नंबर के तौर पर अपनाया. अब यूके में इमर्जेंसी के लिए 112 नंबर है, यही नंबर पूरे यूरोपियन यूनियन में लागू है. 

भारत में सिंगल इमर्जेंसी नंबर (Emergency numbers in India)

भारत में, इमर्जेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम (ERSS) लॉन्च करने का फैसला 2012 दिल्ली गैंगरेप के बाद लिया गया. गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर ERSS पेज को लेकर मौजूद नोट में बताया गया है कि मंत्रालय ने 2012 में निर्भया गैंगरेप की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद न्यायमूर्ति वर्मा कमिटी के सुझावों को स्वीकार किया और इमर्जेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम के नाम से एक नेशनल प्रोजेक्ट को मंजूरी दी. पुलिस, फायर और एंबुलेंस, आदि से जुड़ी किसी भी तरह की सहायता कॉल के लिए सिंगल इमर्जेंसी रिस्पॉन्स नंबर '112' को इंट्रोड्यूस किया गया. इसके लिए 321.69 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया.

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महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामलों की तुरंत सुनवाई और इस मामले में सख्त सजा देने के मकसद से आपराधिक कानून में संशोधन के सुझावों के लिए न्यायमूर्ति वर्मा कमिटी का गठन किया गया था. 23 दिसंबर 2012 को पैनल का गठन किया गया था... पैनल में देश के पूर्व चीफ जस्टिस जेएस वर्मा के अलावा, पूर्व हाई कोर्ट जस्टिस लीला सेठ और पूर्व सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया गोपाल सुब्रमण्यम शामिल थे. 23 नवंबर 2013 को कमिटी ने अपनी रिपोर्ट सब्मिट की थी.

ERSS के तहत की जरूरत इसलिए थी क्योंकि अलग अलग राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से होकर यात्रा कर रहे लोगों को इससे सुविधा मिलती है. अलग अलग राज्यों में लोगों को कई बार वहां के इमर्जेंसी नंबर याद नहीं रहते हैं. ERSS इंफॉर्मेशन पेज पर लिखा गया है- इमर्जेंसी नंबर 112 को याद रखना आसान है और भारत भर में यही एक ऐसा इमर्जेंसी नंबर है जिसे आपको याद रखने की जरूरत है. 

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इमर्जेंसी नंबर कैसे काम करता है (How Emergency Number Works)

पुलिस के लिए 100, फायर के लिए 101, हेल्थ सर्विस के लिए 108, महिला हेल्पलाइन 1091 और 181, चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 आदि जैसे मौजूदा आपातकालीन नंबरों को धीरे-धीरे 112 के तहत इंटीग्रेट किया जाने लगा है. एक "112 India" ऐप भी लॉन्च किया गया है. जिसके जरिए खुद को रजिस्टर करने के बाद यूजर पुलिस, फायर, हेल्थ सर्विस और दूसरी सेवाओं से संपर्क कर सकते हैं. 112 कई दूसरे देशों में भी कॉमन इमर्जेंसी नंबर है.

16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इमर्जेंसी नंबर '112' लॉन्च किया गया. इनमें आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, गुजरात, पुडुचेरी, लक्षद्वीप, अंडमान, दादर नगर हवेली, दमन और दीव और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं...

इमर्जेंसी रिस्पॉन्स सेंटर (ERC) को पैनिक कॉल भेजने के लिए '112' इमर्जेंसी सेवाओं तक संपर्क करना होता है. इसके लिए कोई शख्स फोन पर नंबर डायल कर सकता है या पावर बटन को जल्दी जल्दी 3 बार प्रेस कर सकता है. फीचर फोन पर काफी देर तक 5 और 9 दबाने से भी पैनिक कॉल फंक्शन ऐक्टिवेट हो जाता है...

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2018 में हिमाचल प्रदेश ऐसा पहला राज्य बना जिसने इमर्जेंसी नंबर '112' लॉन्च किया.

देश में कई दूसरे हेल्पलाइन नंबर भी काम कर रहे हैं

Women Helpline: 1091
Women Helpline for Domestic Abuse: 181
Air Ambulance: 9540161344
Aids Helpline: 1097
Anti Poison New Delhi: 1066 or 011-1066
Disaster Management: 011-26701728-1078
EARTHQUAKE / FLOOD / DISASTER N.D.R.F: 011-24-363-260
Missing Child And Women: 1094
Railway Enquiry: 139
Senior Citizen Helpline: 1091 or 1291
Railway Accident Emergency Service: 1072
Road Accident Emergency Service: 1073
Road Accident Emergency Service On National Highway For Private Operators: 1033
ORBO Centre, AIIMS (For Donation Of Organ) Delhi: 1060
Call Centre: 1551
Relief Commissioner For Natural Calamities: 1070
Children In Difficult Situation: 1098
Central Vigilance Commission: 1964
Tourist Helpline: 1363 or 1800111363
LPG Leak Helpline: 1906

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चलते चलते आज की दूसरी घटनाओं पर भी एक नजर डाल लेते हैं-

1909 :   राइट बंघुओं ने सेना के लिए पहला विमान बनाया

1942 :   जर्मन की सेना ने बेलारूस के मिंस्क में 25000 यहूदियों की हत्या की

1982 :    सोवियत संघ ने अंडरग्राउंड परमाणु परीक्षण किया

(इस आर्टिकल के लिए रिसर्च मुकेश तिवारी @MukeshReads ने किया है)

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