ओमिक्रॉन की पहचान सबसे अधिक संक्रामक वेरिएंट के तौर पर की गई है. देश में बढ़ रहे मामले भी इसकी तस्दीक करती है. हालांकि यह भी माना जा रहा है कि इसका असर खतरनाक नहीं है. लेकिन शोधकर्ताओं के दावे तो कुछ और ही हैं. एक नई स्टडी में पता चला है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट के हल्के लक्षण भी बड़ा नुकसान कर सकते हैं. रिसर्च के मुताबिक लंग्स फंक्शन टेस्ट में फेफड़े का वॉल्यूम तीन प्रतिशत घट गया. यानी कि फेफड़ा सिकुड़ गया. इसके साथ ही वायुमार्ग यानी कि सांस लेने वाली नली से जुड़ी दिक्कतें भी देखी गई हैं.
इसके अलावा, हृदय की पम्पिंग पावर में औसतन 1 से 2 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई. इसका मतलब हृदय खून को शरीर में पंप करने की मात्रा में 1 से 2 प्रतिशत की कमी कर देता है. यानी कि आपके शरीर के सभी अंगों तक कम खून की मात्रा पहुंचेंगी. वहीं खून में प्रोटीन का स्तर 41 प्रतिशत तक बढ़ गया. इससे हृदय पर ज्यादा तनाव पड़ेगा.
शोधकर्ताओं को दो से तीन गुना ज्यादा बार 'लेग वीन थ्रोम्बोसिस' यानी कि पैरों की नसों में खून के थक्के बनने के संकेत मिले हैं. इसके साथ ही किडनी फंक्शन में भी तकरीबन दो प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. हालांकि, मरीजों के ब्रेन फंक्शन पर इसका कोई बुरा असर नहीं देखने को मिला.
यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित एक नई स्टडी के मुताबिक यह जांच SARS-CoV-2 इंफेक्शन के हल्के लक्षण वाले 45 से 74 साल की उम्र के कुल 443 लोगों पर की गई है. वहीं सिंगापुर के स्वास्थ्य मंत्री ओंग ये कुंग ने दावा किया है कि ओमिक्रॉन की वजह से संक्रमण की लहर, डेल्टा वैरिएंट की लहर से कई गुना बड़ी हो सकती है.
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