Monkeypox Virus Explained : अगर आप असुरक्षित यौन संबंध (Unprotected Sex) बनाते हैं तो आपको सावधान हो जाने की जरूरत है. खासकर ऐसे वक्त में जब मंकीपॉक्स वायरस (Monkeypox Virus) दुनियाभर में अपना पैर पसारता जा रहा है. इस नए वायरस को लेकर अब तक हुए रिसर्च (Research) में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए है. स्टडी के मुताबिक मंकीपॉक्स वायरस गे और समलैंगिक (Gay and Lesbian) लोगों को ज्यादा संक्रमित कर रहा है. साथ ही असुरक्षित सेक्स करने वालों में भी इसके फैलने का खतरा रहता है. हालांकि सिर्फ यही इसकी वजह है ये भी कहना सही नहीं है. खुद WHO ने 22 मई 2022 को जारी अपनी प्रेस रिलीज में इसकी पुष्टि की है और कहा है कि असुरक्षित यौन संबंध भी मंकीपॉक्स के फैलने की वजह हो सकती है.
यह वायरस करीब 75 देशों को अपनी चपेट में ले चुका है. अब तक 16 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. जबकि 5 लोगों की मौत हो चुकी है. भारत में भी इसके 4 केस सामने आ चुके हैं. जिनमें से तीन केरल (Kerela) और एक मरीज दिल्ली (Delhi) में है. हालात को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने इसे वैश्विक महामारी (Global Pandemic) घोषित कर दिया है.
इसे भी पढ़ें : Droupadi Murmu: मुर्मू की साड़ी से लेकर अभिवादन तक अलग अंदाज...'जोहार' ने जीत लिया दिल
कुल मिलाकर कोरोना महामारी (Corona Pandemic) से अब तक दुनिया पूरी तरह उबर भी नहीं सकी है कि मंकीपॉक्स नाम का एक नया वायरस पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन गया है. ऐसे में ये जानना बेहद जरूरी है कि आखिर मंकीपॉक्स क्या है और यह कितना खतरनाक है. साथ ही इसका स्वास्थ्य पर क्या प्राभाव पड़ेगा.
मंकीपॉक्स के कारणों और लक्षणों (Causes and Symptoms) को लेकर दुनियाभर में रिसर्च जारी है. न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (New England Journal of Medicine) में प्रकाशित रिसर्च में मंकीपॉक्स के नए लक्षणों का खुलासा किया गया है. 16 देशों में 528 मंकीपॉक्स मामलों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि पुरुषों के बीच यह बीमारी असुरक्षित यौन संबंध से फैल सकती है.
ब्रिटेन और यूरोप (Bitain and Europe) में ज्यादातर ऐसे मामले सामने आए जहां समलैंगिक पुरुषों को मंकीपॉक्स हुआ. खास बात ये है कि ब्रिटेन और यूरोप में आ रहे मंकीपॉक्स संक्रमितों में ज्यादातर युवा हैं और इनका अफ्रीकी देशों (African countries) से कोई लेना-देना नहीं है. स्पेन और पुर्तगाल (Spain and Portugal) के अधिकारियों के मुताबिक सेक्सुअल हेल्थ (Sexual Health) चेकअप कराने आ रहे गे पुरुषों में संक्रमण की पुष्टि हुई.
मंकीपॉक्स एक रेयर जूनोटिक बीमारी (Rare Zoonotic Disease) है. जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण से होती है. यह वैरियोला वायरस से संबंध रखता है. जिसमें चेचक (Chicken Pox) की बीमारी पैदा करने वाले वायरस भी होते हैं. वैसे इस वायरस का बंदर (Monkey) से कोई सीधा ताल्लुक नहीं है.
चूंकि एक बार ये वायरस लैब (Lab) के भीतर बंदरों में फैल गया था. जिसके बाद इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया. पहली बार इस बीमारी की पहचान 1958 में हुई थी. उस वक्त रिसर्च करने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी हुई थी. पहली बार इंसानों में इसका संक्रमण 1970 में कांगों (Congo) में एक 9 साल के लड़के को हुआ था.
इसे भी पढ़ें : UP News: पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर सड़क हादसे में 8 की मौत, दो डबल-डेकर बस की टक्कर से हादसा
मंकीपॉक्स जानवरों से इंसानों में फैलने वाला वायरस है. यह वायरस किसी संक्रमित जानवर के संपर्क में आने पर इंसान में पहुंचता है. इसके बाद यह एक इंसान से दूसरे इंसान तक फैलता है. इसके बाद इसके कम्यूनिटी स्तर (Community Level) पर फैलने का खतरा रहता है. यह वायरल आंख, नाक और मुंह के जरिए दूसरे इंसान में फैल सकता है.
यह बंदर, कुत्ते और बिल्ली जैसे जानवरों के संपर्क में आने से फैल सकता है. चूंकि यह डीएनए वायरस (DNA Virus) होता है, जो हवा में नहीं फैलता है. लेकिन मरीज के संपर्क में आने से, उसके ड्रॉपलेट्स (Droplets) और शारीरिक संबंध (Physical Relation) से एक से दूसरे में फैल सकता है. मंकीपॉक्स का कोई सटीक इलाज (Treatmet) नहीं है. संक्रामक होने के बावजूद इसे कम गंभीर माना जा रहा है. बावजूद विशेषज्ञ इसके बचाव के लिये सावधान रहने की सलाह दे रहे हैं.
मंकीपॉक्स के शुरुआती लक्षण सर्दी, जुकाम, शरीर में खासकर जोड़ों में दर्द, गले में खराश, सांस में दिक्कत और बुखार (Cold, Flu, Body Pain, Joints Pain, Sore Throat, Shortness of Breath and Fever) होता है. इसमें चेचक के रोगियों जैसे लक्षण होते हैं. शरीर पर चिकनपॉक्स की तरह रैशेज (Rash) और दाने बन जाते हैं.
धीरे-धीरे यह पूरे शरीर पर दिखने लगते हैं. दाने का आकार बड़ा होता है और इसमें पस (Pus) भर जाती है. इसका इनक्यूबेशन पीरियड (Incubation Period) 5 से 21 दिन का है. यह अपने आप ठीक हो जाता है. लेकिन WHO के मुताबिक कुछ मामलों में यह गंभीर हो सकता है. मंकीपॉक्स के दो स्ट्रेन (Strain) हैं. पहला कांगो (Congo) और दूसरा पश्चिमी अफ्रीकी स्ट्रेन (
West African Strain). दोनों स्ट्रेन 5 साल से छोटे बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक है. पश्चिमी अफ्रीकी स्ट्रेन की तुलना में कांगो स्ट्रेन ज्यादा खतरनाक होता है.
इसे भी पढ़ें : पति को तलाक, भागकर शादी और घूंघट को ना...जानें Draupadi Murmu के आदिवासी समुदाय की 15 रोचक बातें
कोरोना वायरस की तरह मंकीपॉक्स के लिए भी आरटी पीसीआर (RT PCR) टेस्ट करना होता है. हालांकि सैंपल लेने का तरीका अलग है. कोरोना (Corona) में आमतौर पर गले या नाक से स्वैब (Throat or Nose Swab) लिया जाता है. लेकिन मंकीपॉक्स में मरीज के शरीर पर दाने के अंदर का पानी निकाला जाता है. उसके बाद पीसीआर जांच की जाती है. इस बीमारी की पहचान के लिए क्लीनिकल और डायग्नोस्टिक (Clinical and Diagnostic) दोनों अहम हैं.
मरीजों में लक्षणों की जांच की जाती है. साथ ही लैब में पीसीआर जांच में डीएनए का मिलान किया जाता है. अगर मिल जाता है तो मंकीपॉक्स है. कई बार पस के चलते स्किन में सेकेंडरी इंफेक्शन (Secondary Infection) हो जाता है. यह इंफेक्शन ब्लड तक पहुंच जाता है. इससे मरीज को स्पेसिस का इंफेक्शन हो सकता है. यह मल्टीपल ऑर्गन (Multiple Organ), हार्ट, लिवर, किडनी पर असर डालता है. इसके चलते मल्टीऑर्गन फेल हो जाता है और मरीज की मौत हो जाती है. हालांकि मौत का खतरा 1 परसेंट से भी कम होता है.
यूरोपीय कमीशन (European Commission) ने मंकीपॉक्स के लिए स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है. डेनमार्क (Denmark) के दवा निर्माता कंपनी की ओर से यह जानकारी दी गई है. बावेरियन नॉर्डिक (Bavarian Nordic) ने कहा कि यूरोपीय आयोग ने कंपनी की स्मॉलपॉक्स वैक्सीन इमवानैक्स (Imvanax) को मंकीपॉक्स से बचाव वाली वैक्सीन (Vaccine) के तौर पर मार्केटिंग की अनुमति दे दी है. यह यूरोपीय आयोग के दवा निगरानीकर्ता के सुझावों के अनुसार है.
यह मंजूरी सभी यूरोपियन यूनियन सदस्य देशों, आइसलैंड, लेंचटेनस्टीन और नॉर्वे (Iceland, Lenchtenstein and Norway) में मान्य रहेगी. स्मॉलपॉक्स से बचाव के लिए इमवानेक्स को ईयू में साल 2013 में मंजूरी मिली थी. चूंकि मंकीपॉक्स वायरस और स्मॉलपॉक्स वायरस के बीच कई समानताएं हैं. लिहाजा इसे मंकीपॉक्स के लिए भी प्रभावी समझा जा रहा है.
इसे भी पढ़ें : Viral Video: China में रेतीले तूफान का खौफनाक मंजर, वीडियो देखकर उड़ जाएंगे होश
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल करीब एक दर्जन अफ्रीकी देश (African Countries) मंकीपॉक्स से प्रभावित होते हैं. कांगों (Congo) से मंकीपॉक्स के सबसे ज्यादा 6000 मामले सामने आते हैं. इसके अलावा नाइजीरिया (Nigeria) से भी हर साल करीब 3000 केस रिपोर्ट होते हैं. हालांकि अफ्रीका के बाहर अब तक गिने-चुने केस ही सामने आए हैं. ऐसा पहली बार हो रहा है जब मंकीपॉक्स उन लोगों में भी फैल रहा है. जो अफ्रीका की यात्रा पर नहीं गए थे.